नाम नहीं तो आगे क्या?…
जिन लोगों के नाम एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट में नहीं है वह सभी 120 दिनों के अंदर विदेशी न्यायाधिकरण में कागजातों के साथ अपनी नागरिकता साबित कर पाएंगे।
अपील के बाद क्या होगा, नहीं कोई प्लान…
विदेशी न्यायाधिकरण में भी एनआरसी में शामिल होने के लिए जो नागरिकता साबित नहीं कर पाएंगे उनका क्या होगा, इस पर अभी तक केंद्र ( Modi Government ) और राज्य सरकार ( Assam Government ) की कोई ठोस नीति नहीं आई है। राज्य सरकार के एक आला अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर यह बात कही।
इतने विदेशी न्यायाधिकरण करेंगे काम
राज्य में फिलहाल सौ न्यायाधिकरण काम कर रहे हैं। राज्य सरकार ने और दो सौ के लिए ढांचागत व्यवस्थाएं खड़ी की है। ये अक्टूबर के प्रथम हफ्ते से काम करना शुरु कर देंगे। नए न्यायाधिकरणों के लिए गौहाटी उच्च न्यायलय ने सदस्यों का चुनाव कर लिया है। ये दो सौ न्यायाधिकरण काम करना शुरु करने के बाद सरकार और दो सौ न्यायाधिकरणों की स्थापना के लिए प्रक्रिया शुरु करेगी।
कानूनी लडाई लडने की पूरी छूट
अधिकारी ने कहा कि एनआरसी की अंतिम सूची में जो नहीं हैं वे कानून के अंतिम छोर की लड़ाई तक हिरासत में नहीं लिए जाएंगे। उनके पास पहले की तरह सभी अधिकार रहेंगे। इतने सारे लोगों का नाम न आने से भी राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति नहीं बिगड़ी।
थमा नहीं विरोध
राज्य के ज्यादातर संगठन और पार्टियां जिसमें सत्तारुढ़ भाजपा भी शामिल है, ने एनआरसी पर अपनी असंतुष्टि जाहिर की है। असम आंदोलन करने वाला अखिल असम छात्र संघ (आसू) भी एनआरसी से खुश नहीं है। वह भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा फिर से खटखटाएगा। उसने कहा है कि एनआरसी में जो गड़बड़ियां हैं उनको ठीक करने के लिए वह सुप्रीम कोर्ट जाएगा। मालूम हो कि एनआरसी की पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में हुई है।