ब्रिटेन में निर्मित स्टीम इंजन वायजी-4143 को गुना रेलवे स्टेशन की ब्रांडिंग के लिए उपयोग किया जा रहा है। 60 वर्षों से भी पुराने इस इंजन का जलवा आज भी कायम है। इंजन के रखरखाव के लिए बाकायदा रंगाई पुताई से लेकर साज सज्जा पर भी ध्यान दिया है। 16 मीटर लंबे इस इंजन की सबसे खास बात थी कि इसमें पानी की टंकी जिसकी क्षमता 13600 लीटर की थी। 100 टन वजन होने के बावजूद इंजन की रफ्तार 110 किलोमीटर प्रति घंटा थी जो आज भी कायम है।
गुना रेलवे स्टेशन पर यात्रियों का अच्छा खासा आवागमन होता है। कोरोना से पूर्व यहां से हर दिन करीब 6 हजार से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। इस समय हजारों की जगह सैकड़ों में लोग यात्रा कर रहे हैं। बीना-गुना से कोटा तक रेल लाइन डबल की गई है। इससे यहां ट्रेन बढ़ सकती हैं। डीआरएम उदय बोरवणकर ने इस इंजन को रेलवे विभाग की शान बताया था जिसे गुना रेलवे स्टेशन परिसर में स्थापित किया गया था। इंजन की खासियत है कि यदि आज भी इसे पटरी पर दौड़ाया जाए तो इसकी गति 110 किमी प्रति घंटा तक पहुंच जाएगी।
1897 में बना था गुना रेलवे स्टेशन
गुना स्टेशन 122 साल पुराना है। गुना रेलवे स्टेशन को हैरिटेज की थीम पर डिजाइन किया गया है। हैरिटेज की थीम को बढ़ावा देने के लिए इंजन के साथ साथ स्टेशन की बिल्डिंग के मेंटेनेंस पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। स्टेशन निर्माण में सिंधिया राज घराने की विशेष भूमिका रही है। सिंधिया घराने ने ब्रिटिश शासनकाल के दौरान गुना रेलवे स्टेशन का निर्माण कराया था। वर्तमान में प्राचीन स्टेशन को हैरिटेज की तर्ज पर विकसित हो रहा है।