जानकार बताते हैं कि कोरोना काल में आॅनलाइन शिक्षा का जिस तरह चलन बढ़ा है उसके लिए पर्याप्त मात्रा में डेटा की उपलब्धता भी सुनिश्चित कराना होगा(extra data issue)। यही नहीं हर एक के पास अपना एंड्रायड फोन या टैब या कंप्यूटर भी इस नई पद्धति के लिए महत्वपूर्ण व अनिवार्य है।
विशेषज्ञों की मानें तो एक आम व्यक्ति/छात्र/शिक्षक औसत एक से डेढ़ जीबी डेटा का प्लान लेता है। इसमें करीब पच्चीस प्रतिशत उसका अपडेट में ही कहीं न कहीं खर्च हो जाता है। दूसरा यह कि किसी भी विषय की आॅनलाइन क्लास कम से कम आधा घंटा की होगी। अगर इस तरह की पांच छह क्लासेस कोई छात्र एटेंड करे या मिले असाइनमेंट को डाउनलोड करे तो उसे डेढ़ जीबी डेटा से अधिक की आवश्यकता पड़ेगी। दूसरी यह कि नेटवर्क की वजह से तमाम बार स्पीड भी परेशानी का सबब न जाती है।
शिक्षकों का मानना है कि उन पर व छात्रों पर भी एक अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ता है। तमाम छात्र इस स्थिति में नहीं होते कि वह एक बेहतर एंड्रायड खरीद सके या अतिरिक्त डेटा खर्च वहन कर सके। ऐसे में शिक्षा के क्षेत्र का यह बदलाव तमाम तक पहुंच तक नहीं पा रहा।