वन विभाग ने गुना के अलावा पड़ोसी राज्य राजस्थान के मनोहर थाना, गुना जिले के राघौगढ़, पड़ोसी जिले राजगढ़, ब्यावरा और सुठालिया से किराए पर जेसीबी और पोकलेन मशीनें बुलवाई थीं। वहां सुरक्षा और इस कार्रवाई के लिए 600 से अधिक अधिकारी और कर्मचारियों को तैनात किया गया था। इस कार्रवाई को वन विभाग प्रदेश में सबसे बड़ी और पहली कार्रवाई बताने का दावा कर रहा है।
सीएम के बाद केंद्रीय मंत्री ने दिए थे निर्देश
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अलावा पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बैठक में निर्देश दिए थे कि
गुना जिले में जहां भी सरकारी और वन भूमि पर कब्जे हैं, उनको कार्ययोजना बनाकर हटवाए जाएं। इसके बाद वन विभाग के सह परिक्षेत्र चांचौड़ा और बीनागंज रेंज के खेड़ी कमलपुर आदि गांव में लंबे समय से 900 बीघा भूमि यानी 463 एकड़ भूमि से कजे को हटाने के लिए कलेकटर की अध्यक्षता में टास्क फोर्स की बैठक हुई। उसमें बनी कार्ययोजना के अनुसार गुरुवार को सुबह छह बजे करीब छह सौ से अधिक अधिकारी वहां पहुंचे।
कलेक्टर, डीएफओ, एसपी के निर्देशन में बड़ी कार्रवाई
इनमें कलेक्टर डॉ. सतेंद्र सिंह, एसपी संजीव सिंह, डीएफओ अक्षय राठौर के निर्देशन में और एडीएम अखिलेश जैन, चांचौड़ा एसडीएम रवि मालवीय, चांचौड़ा एसडीओपी दिव्या राजावत, बीनागंज रेंजर सौरभ द्विवेदी के नेतृत्व में अलग- अलग टीम बीनागंज रेंज के खेड़ी कमलपुर, देदला बीट के कक्ष क्रमांक आरएफ 21 एवं आरएफ 19 से कोलंबों आदि से जुड़े गांवों में जेसीबी और पोकलेन मशीन लेकर पहुंची थीं।
900 बीघा जमीन बन गई मैदान
इन वन विभाग की जमीन पर अलग-अलग समाजों से जुड़े लोगों का लंबा समय से कब्जा था, जिस पर वे खेती कर हर माह लाखों रुपए कमा रहे थे। इन टीमों ने वन भूमि में बने खेतों में जेसीबी चलवाई और वहां बड़े-बड़े गड्ढे करवाए। एक खेत में चिनखारी पत्थरों से बने कच्चे परकोटे को भी जेसीबी ने ढहाया। इस कार्रवाई को देखने काफी लोगों का हुजूम लग गया था। इससे पूर्व वन अमला बड़ी कार्रवाई के रूप में पागड़ीघटा से 200 बीघा, बटावदा में 150 बीघा चारणपुरा में 80 बीघा, सागोडिया में 90 बीघा, चांचौड़ा में 15 बीघा बेशकीमती जमीन को मुक्त करा चुका है।