scriptकहीं दुबारा न घट जाए झांसी जैसा हादसा… मॉक ड्रिल में खुल गई BRD मेडिकल कॉलेज की पोल…अग्निशमन उपकरण बने है शोपीस | How will BRD Medical College deal with accidents, the truth came out in the mock drill…equipment has become a showpiece | Patrika News
गोरखपुर

कहीं दुबारा न घट जाए झांसी जैसा हादसा… मॉक ड्रिल में खुल गई BRD मेडिकल कॉलेज की पोल…अग्निशमन उपकरण बने है शोपीस

झांसी के दर्दनाक हादसे के बाद भी सिस्टम सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। मामला BRD मेडिकल कॉलेज का है जहां मॉक ड्रिल के बाद आग लगने से बचाव के सारे सिस्टम फेल नजर आए।

गोरखपुरNov 27, 2024 / 06:56 pm

anoop shukla

झांसी के दर्दनाक हादसे के बाद भी सिस्टम सुधरने को तैयार नहीं है। BRD मेडिकल कॉलेज में अग्निशमन सुरक्षा व्यवस्था की पोल हाल ही में आयोजित मॉकड्रिल के दौरान खुलकर सामने आई। पिछले 6 सालों में कॉलेज में आग लगने की दर्जनों घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इसके बावजूद सुरक्षा उपायों में कोई प्रभावी सुधार नहीं हुआ है। इस मॉकड्रिल में जो खामियां सामने आईं, वे बेहद चिंताजनक हैं।
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अग्निशमन के सारे उपकरण निष्क्रिय, दीवारों की बढ़ा रहे हैं शोभा

अग्निशमन विभाग की हाल की जांच में पता चला कि मेडिकल कॉलेज के सभी प्रमुख विंग्स, जिसमें नेहरू अस्पताल और 500 बेड वाले बालरोग संस्थान भी शामिल हैं, में स्मोक अलार्म सिस्टम पूरी तरह से खराब हैं।यह सिस्टम आग लगने की स्थिति में तुरंत सूचना देने का कार्य करते हैं, लेकिन इनकी खराबी से आग लगने पर प्रशासन को सूचना देर से मिल सकती है। साथ ही, इन विंग्स में लगे स्प्रिंकलर सिस्टम भी निष्क्रिय पाए गए, जो आग पर काबू पाने के लिए जरूरी होते हैं।

वायरिंग गड़बड़, आग लगने पर पानी आपूर्ति भी निष्क्रिय

अग्निशमन विभाग ने यह भी पाया कि फायर हाइड्रेंट सिस्टम के लिए कर्मचारियों की तैनाती नहीं की गई है। इसका मतलब है कि अगर आग लगने की स्थिति उत्पन्न होती है तो तुरंत पानी उपलब्ध कराने वाले सिस्टम में भी दिक्कत हो सकती है।कॉलेज में बिजली की वायरिंग भी जर्जर हालत में है, लेकिन इस पर नजर रखने के लिए कोई अवर अभियंता तैनात नहीं किया गया है, जो बिजली आपूर्ति और उपकरणों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सके। इसके अलावा, कई फायर एक्सटिंग्विशर एक्सपायर हो चुके हैं।

आग बुझाने में सुरक्षा के उपायों पर सवाल उठ गए

मंगलवार को हुए मॉकड्रिल के दौरान इन एक्सपायर फायर एक्सटिंग्विशर्स का इस्तेमाल किया गया, जिनका निर्माण 2017 में हुआ था। इस वजह से जब इनसे आग बुझाने की कोशिश की गई, तो गैस सिलेंडर से रसायन बाहर आने लगा, जिससे सुरक्षा के उपायों पर सवाल उठ गए।

प्राचार्य, BRD मेडिकल कॉलेज

BRD मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. रामकुमार जायसवाल ने बताया कि लगभग 350 फायर एक्सटिंग्विशर को रिफिल किया जा चुका है, और बाकी को भी जल्द रिफिल कराया जाएगा। इसके साथ ही, आईसीयू जैसी संवेदनशील जगहों के लिए धुआं रहित फायर एक्सटिंग्विशर भी खरीदे गए हैं।अग्निशमन विभाग ने BRD मेडिकल कॉलेज को पत्र भेजकर इन खामियों को शीघ्र दूर करने की चेतावनी दी है।

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