40-50 साल पहले नदी में विलीन गांवो में भी बन गया शौचालय जानकारी के अनुसार खड्डा तहसील के गांव शामपुर, सूरजपुर, ज्वालापुर, नरकेलिया, गेठियहवा, दुदही घाट सहित आधा दर्जन से ज्यादा गांवों को 40-50 साल पहले बड़ी गंडक नदी ने काटकर अपनी धारा में विलय कर लिया। इन गांवों के लोग इधर-उधर विस्थापित हो गये। लेकिन घोटालेबाजों ने कागज पर इन गांवों में भी शौचालय बनवा कर लाखों की धनराशि निकाल ली हैं।वहीं दुदही विकास खंड के गौरी श्रीराम में 1200 से ज्यादा शौचालय स्वीकृत हुए थे। 2019 में सभी शौचालयों का धन निकाल लिया गया है लेकिन 800 शौचालय आज भी नहीं बने है। अब गौरी श्रीराम गांव का ग्राम प्रधान दूसरा व्यक्ति है। गांव के मौजूदा ग्राम प्रधान ने सबूत देते हुए यह बात कही है।
सिर्फ कागजों पर बन गए करोड़ों के शौचालय
इसी तरह फाजिलनगर विकास खंड के गांव परसौनी में 316 शौचालयों का निर्माण कागज पर कराया गया है। गांव के एक व्यक्ति की शिकायत पर जांच हुई तो पता चला कि रुपये खर्च हो जाने के बाद भी 194 शौचालय अभी तक नहीं बने हैं। शिकायतकर्ता दौड़ता रह गया और जांच की फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गयी। परसौनी गांव के मौजूदा ग्रामप्रधान ने भी कैमरे के सामने इसकी पुष्टि की है। भ्रष्टाचार के इस खेल में ग्रामप्रधान, ग्रामपंचायत सचिव व अधिकारियों की गठजोड़ कितना मजबूत है इसे 2019 के एक मामले से समझा जा सकता है।
PM मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण साल 2019 में धन निकाल लिए जाने के बाद भी शौचालय नहीं बनने के आरोप में दुदही विकास ख़ड के तत्कालीन एडीओ पंचायत रामबिलास ने गौरी श्रीराम, अमवा खास, विशुन बरियापट्टी, चाफ, बैकुंठपुर के तत्कालीन ग्राम प्रधानों व पंचायत सचिव पर 3 करोड़ रुपये से ज्यादा गोलमाल की एफआईआर विशुनपुरा थाना में दर्ज करायी थी। बता दें कि 2 अक्टूबर 2019 को देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को लांच किया था। प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में शुमार स्वच्छ भारत मिशन के लिए शासन ने बकायदा गाइड लाइन भी जारी किया था। लेकिन कुशीनगर में घोटालेबाजों ने PM नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन का कुशीनगर में बंटाधार कर दिया है।