पहले भारी भरकम देना पड़ता था शुल्क
दरअसल पहले गाजियाबाद में कृषि जमीन पर उद्योग लगाने के लिए उद्योगपति को किसानों से जमीन खरीदनी पड़ती थी।इसके बाद इसका लैंड यूज चेंज करवाने के लिए जीडीए आैर आवास विकास परिषद में भारी भरकम शुल्क देना पड़ता था।इस काम के उसके करोड़ों रुपये खर्च हो जाते थे।यहीं वजह थी कि अक्सर उद्योगपति यहां उद्योग बढ़ाने में आने वाले ज्यादा खर्च की वजह से पड़ोसी राज्य हरियाणा आैर उत्तराखंड में जा रहे थे।इसकी वजह वहां पर लैंड यूज कनवर्जन कराने का चार्ज उत्तर प्रदेश से कम होना है।उद्योगों की संख्या को बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने इससे शुल्क कम ही नहीं बल्कि मुफ्त ही कर दिया है।सीएम ने इस मामले पर जल्द से जल्द फैसला लिए जाने का निर्देश दिया था।शासन के इस आदेश को जीडीए में तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
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उद्योगपति के साथ ही किसानों को भी हाेगा इसका फायदा
वहीं गाजियाबाद डवलपमेंट अथाॅरिटी के सीएटीपी इश्तियाक अहमद ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा लैंड यूज फ्री करने से उद्योगपतियों के साथ ही किसानों को भी फायदा होगा।अब उद्योगपति सीधा किसान से जमीन ले सकता है।उन्होंने बताया कि जीडीए में पिछले तीन साल में कृषि भूमि पर उद्योग लगाए जाने के लिए भू-उपयोग परिवर्तन करवाने का एक भी प्रस्ताव नहीं आया है। लेकिन अब शुल्क माफ किए जाने के बाद उम्मीद है कि कृषि भूमि पर उद्योग की स्थापना के बड़ी संख्या में प्रस्ताव आएंगे।
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जमीन की कीमत का 40 फीसदी लगता था कनवर्जन चार्ज
जीडीए के अधिकारियों के अनुसार कृषि योग्य भूमि की किमत का 40 फीसदी उद्योग के लिए जमीन का परिवर्तन कराने में चार्ज वसूला जाता था। इस शुल्क को देने के बाद ही जमीन पर उद्योग की स्थापना की जा सकती थी। इसके चलते उद्योगपति यहां पर उद्योग लगाने से बचते थे। लेकिन अब यह पूरी तरह से फ्री हो गया है। अब उद्योगपति को किसान से जमीन लेने के बाद किसी तरह का चार्ज देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।