हिंदुओं में भारी आक्रोश
कट्ठपंथी मुस्लिम समुदाय ने 4 अक्टूबर की रात हजारों की संख्या में एकत्र होकर आपत्तिजनक नारे लगाते हुए मंदिर पर पथराव और हमला किया। लेकिन, पुलिस की मुस्तैदी से मंदिर की मूर्तियों को खंडित होने से और बड़े नरसंहार से मुश्किल से बचाया जा सका। इस घटना के बाद से डासना समेत पूरे भारत में रहने वाले करोड़ों हिंदुओं में भारी आक्रोश है क्योंकि यह मंदिर लंबे समय से कट्टरपंथियों के निशाने पर रहा है। पहले भी पुजारी पर हो चुका है हमला
आईएएनएस के मुताबिक, उन्होंने लिखा है कि पूर्व में भी यहां के पुजारी पर जानलेवा हमला हो चुका है। नवरात्रि के पवित्र दिनों में भगवान परशुराम और पांडवों की तपोस्थली पर सुनियोजित तरीके से इस तरह की घटना को अंजाम देना बिना बाहरी व्यक्तियों के समर्थन के संभव नहीं है। मंदिर के महंत द्वारा आवेश में दिए गए बयान पर मुकदमा दर्ज होने के बाद भी प्रदेश को दंगे में झोंकने के षड्यंत्र के पीछे
सपा, कांग्रेस और एआईएमआईएम के कई पदाधिकारियों की भूमिका सामने है। डासना, हापुड़, सहारनपुर समेत कई स्थानों पर विरोध और दंगों को उक्त पार्टी के पदाधिकारियों, आईएसआई के स्लीपर सेल द्वारा हवा दी गई, जो अत्यंत चिंता का विषय है।
महापंचायत की चर्चा
नंद किशोर गुर्जर ने लिखा है कि मंदिर पर पथराव से सनातन धर्म प्रेमियों की आस्था को गहरी चोट पहुंची है, डासना के पास स्थित लाखों लोगों की ओर से महापंचायत करने की बात कही जा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि मंदिर पर हमला कर पूरे प्रदेश को दंगों की आग में झोंकने और भीड़तंत्र को आगे करने वाले सभी दोषी व्यक्तियों को चिन्हित कर रासुका के तहत कार्रवाई करते हुए इनकी संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया जाए। यह सिर्फ एक मंदिर पर नहीं, सभी सनातनियों की आस्था पर हमला है।