ट्रस्ट का मकसद शहरों व गांवों में वृद्धाश्रम और अनाथालयों का विकास करना है। शनिवार को उन्होंने दुहाई स्थित वृद्धाश्रम में 75 से अधिक बुजुर्गों को भोजन के लिए सामान, आवश्यक दैनिक वस्तुएं, दवाएं, ड्राई फ्रूट्स, बेड गद्दा, कवर आदि मुहैया कराया। साथ ही वृद्ध लोगों के मनोरंजन के लिए तंबोला, अंताक्षरी का कार्यक्रम भी रखा गया। मैनेजिंग ट्रस्टी गौरव मित्तल ने बताया कि डिवीनिति प्रोग्राम के तहत कुछ छोटे गृह उद्योग भी इन वृद्धाश्रम में शुरू कराए जाएंगे। इससे घर के लोग कुछ पैसे कमाने में सक्षम होंगे। साथ ही उनकी टीम बुजुर्गों के बच्चों से बात करके उन्हें समझाकर माता—पिता को घर वापस ले जाने के लिए भी प्रेरित कर रही है। इस प्रयास में एसजीएस इंडिया उनका समर्थन कर रही है।
वृद्धाश्रम में रह रहे धर्मराज सिंह का कहना है कि उनके दो बेटे हैं। एक किराया पर रहता है। मकान भी छोटा है। अब वह यहां पर खुश हैं। अगर यह पहल 20 साल पहले शुरू हो जाती तो काफी अच्छा होता. इससे उनका समय भी कटेगा और पैसे भी मिलेंगे। बुजुर्ग आशा का कहना है कि उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। तीनों किराये पर रहते हैं। वे खुद परेशान हैं। अगर हम कुछ काम करेंगे तो चार पैसे मिलेंगे। इससे हम अपने लिए कुछ कर सकते हैं।