वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोरोना के नए वैरियंट ओमिक्रोन से बेहद सावधानी की आवश्यकता तो जरूर है, लेकिन इसे लेकर पैनिक ना हो, क्योंकि हर खांसी जुकाम बुखार वाले को कोरोना नहीं होता। यदि तबीयत बिगड़ती है तो निश्चित तौर पर उपचार कराना चाहिए। इस बारे में हमने सरकारी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से बात की। जिन्होंने ओमीक्रोन को पहचानने का सही तरीका बताया। उन्होंने बताया कि एक राहत की बात यह है कि प्रदूषण का लेवल कम हुआ है। जिसके चलते अस्पतालों में बच्चों की संख्या कम हुई है।
जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अनुराग भार्गव ने बताया कि ओमिक्रोन की मुख्य पहचान यह है कि इसमें मरीज काफी कमजोर हो जाता है। उसे कोई काम करने की हिम्मत नहीं होती। दूसरा लक्षण यह है कि उसमें स्ट्रैची थ्रोट हो जाता है। जब तक यह सिम्टम्स ना हो तब तक ओमिक्रोन नहीं कहा जा सकता है। हालांकि जिला अस्पताल में आने वाले हर मरीज का कोरोना टेस्ट जरूर करवाया जाता है।
उन्होंने कहा की टेस्ट में अगर सीटी वैल्यू 10 से 12 जाती है तभी रिपोर्ट ओमिक्रोन की तरफ इशारा करती है। हालांकि उन्होंने यह कहा कि यह हेल्दी सीजन है, जिसके चलते बच्चों की संख्या कम हुई है। एडमिट होने वाले मरीजों की संख्या भी पहले की तुलना में कम हुई है।