एक किसान नेता ने बताया कि इस समय एक तरफ घर और खेत का कार्य निपटाना है तो दूसरी तरफ आंदोलन को भी जारी रखना है। जो किसान लंबे समय से इस संघर्ष में डटे रहे हैं वो अब अपने घर पर वापसी कर रहे हैं उन्होंने बताया कि दिक्कत यह है कि सरकार झुकने को तैयार नहीं और आंदोलन के चक्कर में धरने पर बैठे रहने से फसल का कार्य प्रभावित होगा। ऐसे में आंदोलन देखे या फिर अपनी खेती।
12 वें महीने में प्रवेश कर रहा आंदोलन किसान आंदोलन का अब 12वां महीना शुरू हो चुका है। यह इतना लंबा चलेगा इसका अंदाजा न किसानों को था और न किसान संगठनों को। शुरूआत में तो वे छह महीने का राशन लेकर आने की बात कह रहे थे, लेकिन अब तो एक महीने बाद इस आंदोलन को साल पूरा होने जा रहा है। मगर अब किसानों की संख्या आंदोलन स्थल पर पहले के मुकाबले 70 फीसद से भी ज्यादा कम हो चुकी है। आंदोलन तो अभी भी लगभग दिल्ली के चारों ओर 15 किलोमीटर तक फैला हुआ है, लेकिन इसमें लगाए गए तंबुओं में किसानों की संख्या अब लगातार कम हो रही है। हालांकि आंदोलनकारी दावा कर रहे हैं कि फसल का कार्य निपटने के बाद किसानों के जत्थे आएंगे।
पिछले साल ठंड में गरमाया था किसान आंदोलन पिछले साल ठंड की शुरूआत पर ही किसानों ने दिल्ली के चारों ओर डेरा डाला था। पहले ठंड का मौसम बिताया, फिर गर्मी और उसके बाद बारिश। अब फिर से ठंड आ चुकी है और हालात जिस तरह के बने हुए हैं, उसमें यह आंदोलन और ज्यादा लंबा खिंचता नजर आ रहा है। दिल्ली के प्रमुख बार्डर बंद होने से नुकसान तो हो रहा है, लेकिन सरकार द्वारा अब दिल्ली जाने-आने के लिए वैकल्पिक रास्तों को दुरुस्त करने पर जोर दिया जा रहा है ताकि दूसरे रास्तों के जरिये दिल्ली में आवाजाही आसान हो सके और लोगों को किसी तरह की परेशानी न आए।