अगर बात की जाए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की तो यहां के सराय काले खां में वाहन चलाने के लिए बनाए गए ट्रैक पर आवेदक को यहां बनी बारीक पट्टी को ध्यान में रखकर गाड़ी को 8 के आकार में बने मार्ग पर चलाना पड़ता है। हालात ये है यहां हर रोज टेस्ट देने के लिए आने वालों में लगभग आधे लोग फेल हो जाते हैं। लेकिन दिल्ली के बॉर्डर से सटे गाजियाबाद में यही काम किसी खेल से ज्यादा नहीं है और यह सब होता है गाजियाबाद के कविनगर स्थित आरटीओ ऑफिस के कमपाउंड में। यहां किसी प्रकार की आधुनिक सुविधा भी नहीं है। यहां सिर्फ लोगों को कार चलाने को कहा जाता है और फिर रिवर्स करने के लिए कहा जाता है। इतना करते ही टेस्ट पूरा हो जाता है। यहां पर तैनात सुपरवाइजर बताते हैं कि यहां पर आने वाले 100 आवेदकों में से 98 लोग पास हो जाते हैं।
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रिपोर्टर ने के सामने एक शख्स ड्राइविंग स्कूल की कार लेकर पहुंचा। उसके साथ ड्राइविंग स्कूल का ट्रेनर भी था। इस शख्स ने कार स्टार्ट किया और एक्सीलेटर को दबाया। इसके बाद गाड़ी चलाने का सारा काम ट्रेनर ने किया। इस पूरे खेल में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वाहन नीरिक्षक जो आवेदकों के एक किनारे में बैठा हुआ था। उसने 30-30 सेकेंड की ड्राइविंग के बाद आवेदकों को उन्हें बाहर जाने और टेस्ट पूरा होने की बात कहते रहे। इसी दौरान एक आवेदक गाड़ी से बाहर आया और आश्चर्य जताते हुए बोला कि मैंने टेस्ट पूरा कर लिया। ये इतना आसान था। इसके लिए तो मैंने एक हफ्ते की प्रैक्टिस की थी।
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दरअसल, ये सारा खेल होता है आरटीओ दफ्तर के बाहर बैठे दलालों की वजह से। कुर्सी-टेबल लगाकर आरटीओ दफ्तर के बाहर बैठे ये दलाल इस को पूरी तरह से मैनेज करते हैं कि किसका कैसा टेस्ट होना है। ऐसे ही एक दलाल आशीश यादव से जब संवाददाता मिला और बोला कि मुझे ड्राइविंग नहीं आती है, लेकिन मुझे अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना है। इस पर उस दलाल ने कहा कि ओहो आप ड्राइविंग नहीं जामते हैं। कोई बात नहीं आप हमें 2100 रुपए दे दें। हम आपको ड्राइविंग लाइसेंस बनाकर आपके घर पहुंचा देंगे। जब संवाददाता ने उससे पूछा कि तुम ये कैसे कर लोगे तो वह बोला कि ये सब आरटीओ अफसर से सैटिंग के जरिए होता है और हमारी बड़े अफसरों तक सैटिंग है।
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इस मामले में जब आरटीओ के अफसरों से बात की गई तो वे अपना ही दर्द बताने लगे। सहायक क्षेत्रीय परिवहन आधिकारी विश्वास सिंह ने बताया कि हमारे पास इंफ्रस्ट्रक्टर की भारी कमी है। हम अभी आधे एकड़ के प्लॉट में ये सारा काम कर रहे हैं। हमारे पास न तो प्रोपर ड्राइविंग ट्रैक है। इसके लिए हमने प्रशासन से 3 एकड़ जमीन की मांग कर रखी है, लेकिन इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया है। वहीं, हमारे पास 4 ट्राइविंग स्पॉट है। लेकिन वाहन इंस्पेक्टर एक ही है। वहीं, गाजियाबाद के क्षेत्रीय अधिकारी अजय त्रिपाठी ने बताया कि हमारे पास इस वक्त आधारभूत संरचना की भारी कमी है, लेकिन हम इसे जल्द ही दूर कर लेंगे।