गाजियाबाद. उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक राजस्व देने वाले जिलों में शामिल महानगर गाजियाबाद ने स्मार्ट सिटी के लिस्ट से बाहर होने के बाद अब एक और शर्मनाक रिकार्ड को अपने झोली में शामिल कर लिया है। दरअसल अब अपना हॉटसिटी स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में भी बाकि जनपदों से फिसड्डी हो गया है। एनआरएचएम की तरफ से 72 जिलों की जारी की गई रैंकिंग में गाजियाबाद को 62वां स्थान मिला है।
अधिकारियों की खामियां को भुगत रहा गाजियाबाद शहर
स्वास्थ्य सेवाओं के मामले मे पिछड़ने की एक बड़ी वजह अधिकारियों के द्वारा बरती जा रही लापरवाही बताई जा रही है। किसी अस्पताल में तय समय पर डॉक्टर नहीं आते कहीं पर जरूरत की दवा महीनों से स्टॉक में नहीं हैं। साल 2016 में ये रैकिंग 27 स्थान पर थी, लेकिन अब लुढ़कते हुए ये 62वें नम्बर पर आकर रुकी है। आगे भी अगर इसी तरीके से हालात बने रहे तो ये नम्बर आखिरी पायदान का भी हो सकता है।
बच्चों का तय समय पर नहीं किया जा रहा टीकाकरण
मदर चाइल्ड ट्रैकिंग सिस्टम (एमसीटीएस) के तहत जच्चा-बच्चा को ट्रैक कर उनकी सभी जांच व टीके लगवाने होते हैं। इसकी पूरी जिम्मेदीरी जिला प्रतिरक्षण अधिकारी की होती है। एमसीटीएस के तहत जिले में सिर्फ 62.7 फीसदी बच्चे ही रजिस्टर्ड हैं, जिनमें से सिर्फ 36.3 फीसदी बच्चों का ही टीकाकरण हुआ है।
प्रसव के केस में भी पिछडे हम
गाजियाबाद जिले में जननी सुरक्षा योजना के तहत सिर्फ 28.4 फीसदी महिलाओं का संस्थागत डिलिवरी हुई है। इनमें से सिर्फ 69.6 फीसदी महिलाओं को ही योजना के तहत लाभ मिला है। योजना के तहत जिले की सिर्फ 31.2 आशा को ही उनके हिस्से का पैसा दिया गया है। इतना ही नहीं प्रसव पूर्व जांच में भी गाजियाबाद पीछे है। जिले की सिर्फ 71.6 महिलाओं की ही प्रसव पूर्व होने वाली तीन जांच कराई गई है।
सीएमओ ने दी ये सफाई
सीएमओ अजेय अग्रवाल का कहना है कि स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी नहीं आई है। बल्कि जिले में डाटा एंट्री ऑपरेटर्स की कमी होने से डाटा अपलोड नहीं हो पा रहा है।
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