पत्रिका टीम से फोन पर बात करते हुए वंदना ने कहा, ‘ परिवार को भगवान पर भरोसा था कि सच की जीत होगी, उनके साथ अदालत में न्याय हुआ है, दस साल परिवार के लोगों के लिए मुश्किल भरे रहे।’ उन्होंने आगे बताया कि आरुषि मामले में बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्होंने हमें सपोर्ट किया उन सबका तलवार परिवार आभारी है। वंदना का कहना था कि कोई भी मां-बाप इस तरह से अपनी बेटी की हत्या नहीं कर सकता है। मैं भगवान का बहुत धन्यवाद करना चाहती हूं, हमने दस साल बहुत संघर्ष किया है। हालांकि, मिलने और ज्यादा कुछ भी बताने से वंदना ने साफ इनकार कर दिया।
चार साल तक हाइकोर्ट में केस गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट ने 26 नवम्बर 2013 को आरुषि हत्याकांड में तलवार दंपति को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। फैसले के खिलाफ तलवार दंपति इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी। करीब चार साल बाद हाइकोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाया है।
क्या था मामला 16 मई, 2008 को 14 साल की आरुषि अपने बेडरूम में मृत मिली थी। हत्या का शक घरेलू नौकर हेमराज पर गया था। 17 मई को हेमराज का शव घर के टैरेस पर मिला। वहीं, 23 मई को दोहरी हत्या के आरोप में डॉ राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया था। एक जून को सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली। 13 जून को डॉ तलवार का कंपाउंडर कृष्णा की गिरफ्तारी हई थी। इसके बाद एक-एक कर इतनी नाटकीय घटनाएं सामने आईं कि पूरा मामला क्रिसी क्राइम थ्रिलर की फिल्म में बदल गया। करीब चार साल बाद इस घटना में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। लेकिन, सवाल यह कि आखिरकार आरुषि का हत्यार कौन है।