मिली जानकारी के मुताबिक, गरियाबंद से सटे खट्टी गांव में रहने वाली 17 साल की नाबालिग 1 अक्टूबर को पढ़ाई करने के लिए पड़ोस के गांव काजनसरा में अपनी दोस्त के घर जाने के लिए निकली थी। फिर वह घर नहीं लौटी। परिवार ने पहले दोस्तों से पता किया। जानकारी न मिलने पर लोकल थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। खुद भी लगातार तलाश जारी (CG Hindi News) रखी। इसी बीच शनिवार को एक वॉट्सऐप ग्रुप में उन्होंने एक वीडियो देखा जो गांव के सरपंच ने डाला था। इसमें पांडुका से लगे टोईयामुड़ा घटकर्रा गांव के जंगलों में कंकाल को दिखाया गया था।
कंकाल के पास ही कपड़ा, कॉपी, किताब, पेन व अन्य सामान भी पड़े थे। नाबालिग के पिता और परिजन मौके पर पहुंचे। जब शिनाख्त पक्की हो गई कि कंकाल उसी नाबालिग का है तो पिता और परिजन फफक-फफककर रो पड़े। आसपास मौजूद लोगों की आंखें भी नम हो आईं। पांडुका पुलिस और गरियाबंद से फॉरेंसिक की टीम मामले की जांच कर रही है।
2 पेंच, जो मौत को बनाते हैं संदिग्ध… 1. घर से इतनी दूर कैसे पहुंची? नाबालिग बारहवीं कक्षा की छात्र थी। रविवार के दिन वह पढ़ाई करने के लिए पड़ोस के गांव में रहने वाली अपनी दोस्त के घर गई थी। फिर कंकाल 30 किलोमीटर दूर कैसे मिला? उसके साथ आखिर हुआ क्या था?
2. हफ्तेभर किसी ने नहीं देखा? जिस जंगल में कंकाल मिला है, वह घटकर्रा गांव से सटा है। जानवरों के नोचने और हफ्तेभर बीतने की वजह से लाश कंकाल में बदल गया। लेकिन, क्या इसके पहले किसी को लाश की बदबू नहीं आई? किसी ने देखा तक नहीं?
हफ्तेभर पहले खट्टी गांव की नाबालिग की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। शनिवार को जंगल में मिला कंकाल उसी का है। पुलिस और फॉरेंसिक टीम जांच में जुट गई है। मामले में जल्द बड़ा खुलासा होगा। – पुष्पेंद्र नायक, एसडीओपी