CG News: मुख्यमंत्री के सामने रखेंगे अपनी बात
जनप्रतिनिधियों ने भी इस मुद्दे पर सीएम के सामने अपनी राय रखने की बात कही है। सब्जी विक्रेता भीखम सोनकर, कराटे मास्टर खिलावन साहू, किसान लीला राम साहू, संगीताचार्य तुलाराम साहू, साहित्यकार टीकमचंद सेन, मजदूर गोपाल चक्रधारी, पूर्व सरपंच सोहन वर्मा, ऑटो मैकेनिक कृष्णा साहू ने कहा, छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध धर्म एवं पर्यटन नगरी राजिम को जिला का दर्जा देकर संत कवि पवन दीवान के सपनों को साकार करें। यहां की जनता को विकास के पथ पर आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करें। उन्होंने कहा हिंदुस्तान में जितने भी बड़े तीर्थ स्थल हैं, सभी जिला मुख्यालय बन चुके हैं। राजिम लाखों-करोड़ों लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।
CG New District: पवन दीवान जीते जी बस इंतजार करते रहे
संत पवन दीवान के मन में भी राजिम के विकास की पीड़ा रही। वे छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने से पहले ही भोपाल जाकर राजिम को अलग जिला बनाने की मांग करते रहे। राज्य बनने के बाद पहले मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी से लेकर डॉ रमन सिंह तक कई बार अपनी बात रखी। 2016 में उन्होंने आखिरी सांसें ली। राजिम को अलग जिला बनाने का सपना उनके जीते जी पूरा नहीं हो पाया। पिछले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी लोगों ने इसकी फरियाद की। उनकी सरकार ने भी सुध नहीं ली।
जिला बदल गया पर हालत जस के तस हैं
बता दें कि राजिम पहले रायपुर जिले में था। 2011 में गरियाबंद अलग जिला (CG New District) बना। राजिम को भी इसी में सम्मिलित कर दिया गया। इस बात को नजरअंदाज करते हुए कि राजिम सालों से खुद नवीन जिले की मांग कर रहा है। राजिम से रायपुर और गरियाबंद की दूरी समान है। 45 किलोमीटर। ऐसे में राजिम के लोगों को जिला स्तर के कामों के लिए पहले जितनी दौड़ लगानी पड़ती थी, अभी भी उतनी ही भागदौड़ करनी पड़ रही है। जिला बदलने से राजिम के लोगों के हाथ कुछ नहीं आया।
जोगी बोले थे- राजिम नवापारा जिला बनेगा
नदी के दोनों किनारों पर दो शहर राजिम और नवापारा हैं। नवापारा रायपुर जिले में, जबकि राजिम गरियाबंद जिले में आता है। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी 2003 में नगर आए थे, तब उन्होंने कहा था कि पुनर्गठन में राजिम और नवापारा को जोड़कर नया जिला बना दिया जाएगा। उनकी कही इस बात को 21 साल बीत गए हैं। इस दौरान प्रदेश में 16 से बढ़कर 33 जिले हो गए। बस राजिम का नंबर अब तक नहीं आ पाया है। इससे इलाके के लोगों में मायूसी है।
बाजार बड़ा… 200 किमी दूर से पहुंच रहे हैं खरीदार
दोनों शहरों में व्यापार फल फूल रहा है। जिले को राजस्व भी खूब मिलता है। सुई से सब्बल तक, हर तरह के सामान खरीदने यहां लोग 100-200 किमी दूर से भी आते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में इलाका अब भी पिछड़ा है। यहां कोई व्यवसायिक स्कूल-कॉलेज नहीं है। नतीजतन छात्र-छात्राओं को मोटी रकम खर्च कर रायपुर, दुर्ग-भिलाई, बिलासपुर, कोटा, राजस्थान, दिल्ली जैसे बड़े शहरों का रूख करना पड़ता है। स्वास्थ्य सुविधाएं भी जैसी होनी चाहिए थीं, वैसी अब तक नहीं हो पाई है। जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। उस मुकाबले सुविधाएं नहीं बढ़ रहीं। इन सब हालातों के मद्देनजर राजिम को अलग जिला बनाने की मांग तेज हो रही है।