बोस्टन के नार्थइस्टर्न यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक डेविड चोफनस ने कहा, “हमने पाया कि सभी ऐप के पास आपके स्क्रीन को या जो कुछ भी आप टाइप करते हैं, उन्हें रिकॉर्ड करने की क्षमता है।” इन अध्ययन को बार्सिलोना में होने वाले प्राइवेसी इनहांसिंग टेक्नोलॉजी सिंपोजियम में पेश किया जाएगा अध्ययन के अंतर्गत, समूह ने एंड्रायड ऑपरेटिंग सिस्टम में विद्यार्थियों द्वारा लिखित एक स्वचालित परीक्षण कार्यक्रम का उपयोग कर 17,000 से ज्यादा सबसे महत्वपूर्ण ऐप का विश्लेषण किया।
मीडिया रिपोर्ट की माने तो, इन 17,000 ऐप में से 9,000 ऐप के पास स्क्रीनशॉट्स लेने की क्षमता है।विश्वविद्यालय के प्राध्यापक क्रिस्टो विल्सन ने कहा, “अध्ययन में किसी भी प्रकार के ऑडियो लीक का पता नहीं चला। एक भी ऐप ने माइक्रोफोन को सक्रिय नहीं किया।” उन्होंने कहा, “उसके बाद हमने ऐसी चीजें देखी, जिसकी हमें आशा नहीं थी। ऐप खुद ब खुद स्क्रीनशॉट्स ले रहे थे और किसी और को भेज रहे थे।”विल्सन ने कहा, “इसका उपयोग निश्चित ही किसी दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों के लिए किया जाता होगा। इंस्टॉल होना और जानकारी इकट्ठी करना काफी आसान है। और जो सबसे खतरनाक है, वह यह है कि इसके लिए कोई नोटिफिकेशन नहीं भेजा जाता और उपयोगकर्ताओं से कोई इजाजत नहीं ली जाती।” उन्होंने आगे कहा कि, यह रिचर्स एंड्रॉयड फोन पर किए गए हैं जिससे यह पता चलता है कि अन्य आपरेटिंग सिस्टम भी खतरनाक हो सकते हैं। वहीं, एक अन्य अध्ययन से पता लगा है कि माइग्रेन दर्द का पता लगाने के लिए बनाए गया ऐप भी किसी दूसरे को सूचनाएं भेजता है। यह भी निजता का हनन है, क्योंकि मेडिकल एऐ से तीसरे पक्ष को डेटा भेजने के संबंध में कुछ कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है।