आने वाले इस समस्या से निपटने के लिए एटीएम पर होने वाले लागत को कम करना होगा। इसके अलावा कांट्रैक्ट और लाइसेंस पर भी ज्यादा ध्यान देना होगा। आपको बता दें देश में एटीएम तीन तरह से काम करते हैं। इसमें पहला बैंक अपना एटीएम खुद ऑपरेट करता है। इसके अलावा बैंक दूसरे कंपनियों को एटीएम लगाने और उसे चलाने का ठेका देता है। साथ ही देश में TATA indicash जैसे कुछ कंपनियों को भी एटीएम लगाने का लाइसेंस दिया गया है जिसका इस्तेमाल अब काफी कम किया जा रहा है। एक बैंक अधिकारी के अनुसार एटीएम में अलग अलग तरह के 4 कैसेट मौजूद होते हैं। एवरेज इस्तेमाल पर कैश लोड किया जाता है। अब आरबीआई चाहता है कि एटीएम इंडस्ट्री इन कैसेट का वेयरहाउस उन्हें सौंपे और फिर वेयरहाउस को भरकर वापस कैसेट भेजे। जिससे खर्चा और लगात में बढ़ोतरी होती है। यही करण है कि ऐसे एटीएम को बंद किया जा सकता है।
बता दें इनमें से तीसरे मॉडल वाले एटीएम की संख्या देश में काफी ज्यादा है जिसकी वजह से ज्यादा मात्रा में एटीएम को बंद किया जा सकता है। एक रिपोर्ट की माने तो समय-समय पर एटीएम में पैसे डलवाने के खर्च में भारी वृध्दि हो गई है। ऐसे में अगर एटीएम लगवाने वाले कंपनियों के खर्चों में हुई वृध्दि को कम नहीं किया जाए तो ज्यादा संख्या में एटीएम बंद हो सकते हैं। लेकिन की लोगों की माने तो अगर ऐसा होता है तो नोटबंदी की तरह कोई दिक्कत नहीं आएगी क्योंकि अब कैश के बदले डिजिटल ट्रांजैक्शन काफी ज्यादा बढ़ गए हैं।