बता दें कि फिरोजाबाद में सपा—बसपा गठबंधन से अक्षय यादव, भाजपा से चन्द्रसेन जादौन और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से शिवपाल यादव लोकसभा चुनाव लड़े थे। ऐसे में पहले से ही ये कयास लगाए जा रहे थे कि शिवपाल और अक्षय दोनों के एक ही परिवार के होने के कारण सपा के पारंपरिक यादव वोट बंट सकते हैं और इसका फायदा कहीं न कहीं भाजपा को हो सकता है। जो कि चुनाव परिणाम में काफी हद तक सही साबित हुआ। फिरोजाबाद में भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई। जबकि ये सीट सपा की पारंपरिक सीटों में से एक रही है।
यदि 2012 के उपचुनाव को छोड़ दें तो 1999 ये सीट 2014 तक लगातार समाजवादी पार्टी के हिस्से में आयी है। ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि शिवपाल के अक्षय के विरोध में उतरने के कारण कहीं न कहीं यादव वोट बंटा है। इसके अलावा सपा और बसपा का गठबंधन से भी दोनों ही पार्टियों के पारंपरिक वोटर्स में नाराजगी थी। इसका फायदा भाजपा को मिला और चुनाव में भाजपा प्रत्याशी चन्द्रसेन जादौन ने गठबंधन प्रत्याशी को हराकर सपा की पारंपरिक मानी जाने वाली फिरोजाबाद सीट पर कब्जा कर लिया।