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Budget 2020: जम्मू-कश्मीर में ऐसे कैसे नई राह तलाशेगी सरकार, बजट में 63% की कटौती

Budget 2020: आर्टिकल 370 और धारा 35A हटने के बाद J&K-लद्दाख के लिए पहला बजट
वित्त वर्ष 2019-20 के मुकाबले 2020-21 का बजट 63 फीसदी कम

Feb 01, 2020 / 05:15 pm

Pratima Tripathi

Why Budget 2020 Important for Jammu-Kashmir and Ladakh after Removing

Why Budget 2020 Important for Jammu-Kashmir and Ladakh

नयी दिल्ली: जम्मू-कश्मीर राज्य के दो भाग में बांटने (दो नए केंद्रशासित राज्य जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) और आर्टिकल 370 तथा धारा 35ए हटने के बाद इस बार के बजट से इन दोनों केंद्रशासित राज्यों को काफी उम्मीद थी, खासकर आतंकवाद प्रभावित जम्मू-कश्मीर को, लेकिन इस बार बजट में इनके लिए जितनी वित्तीय राशि इन दोनों राज्यों को दी गई है, वह पिछली बार के बजट की तकरीबन 37 फीसदी है। यानी इन राज्यों को लेकर केंद्र सरकार की घोषणाओं और वित्त वर्ष 2020 में कोई तालमेल नहीं दिख रहा है।

पिछले साल से 63 फीसदी कम मिला बजट

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख (दो अलग राज्य बनने के बाद पहला बजट ) के लिए वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश कर दिया है, जो वहां के लोगों के लिए काफी खास माना जा रहा था, लेकिन बजट देखने के बाद ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार की ओर से दोनों केंद्रशासित राज्यों की जनता को लॉलीपॉप देने का काम किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जम्मू-कश्मीर के लिए 30,757 करोड़ रुपये और लद्दाख को 5,958 करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव किया है, जो वित्त वर्ष 2019-20 के मुकाबले 63 फीसदी कम है यानी पिछले बार बजट में मिली कुल राशि का महज 37 फीसदी रकम ही इस बार इन दोनों राज्यों को मिलेगी। बता दें कि पिछली बार जब लद्दाख जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था, तब वित्त वर्ष 2019-20 में केंद्र सरकार की ओर से 88,911 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया था।

विकास कार्यों में रोड़ा बन सकता है ये बजट

बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जम्मू-कश्मीर में हुए कार्यों पर नजर डालते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में मार्च 2018 तक करीब 3,500 नए घर बनाए गए थे। इसके अलावा दो साल से भी कम समय में 24,000 से ज्यादा घरों का निर्माण पूरा किया गया है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में कनेक्टिविटी के लिए काम किया जा रहा है। साथ ही वहां सिंचाई, अस्पताल, पर्यटन से जुड़ी योजनाओं एवं IIT, IIM और AIIMS जैसे उच्च शिक्षा के संस्थानों की स्थापना का काम तेजी से चल रहा है। लेकिन वित्त वर्ष 2020-21 का बजट देखकर लगता है कि इन सभी योजनाओं में कहीं बाधा न आ जाए।

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