लिज्जत पापड़ बनाने की शुरूआत साल 1959 में हुई थी। इसके लिए जसवंती बेन समेत उनकी 6 सहेलियों ने पहल की थी। इनमें पार्वतीबेन रामदास ठोदानी, उजमबेन नरानदास कुण्डलिया, बानुबेन तन्ना, लागुबेन अमृतलाल गोकानी, जयाबेन विठलानी शामिल थीं। इन्होंने घर पर पापड़ बनाने की शुरूआत की थी। जबकि एक अन्य महिला को पापड़ बेचने की जिम्मेदारी दी गई थी।
सभी सहेलियों ने पापड़ बनाने की शुरूआत बिज़नेस के मक़सद से नहीं बल्कि घर चलाने के लिए पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए की थी। इसके लिए उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता से 80 रुपए उधार लिए थे। जिससे वो पापड़ बनाने का सामना खरीद सके। सबसे पहले उन्होंने एक मशीन खरीदी थी। शुरुआत में उन्होंने पापड़ के 4 पैकेट बनाकर एक व्यापारी को बेचे थे। बाद में डिमांड बढ़ने के बाद ये लोगों के बीच लोकप्रिय होता गया।
हर भारतीय घर में अपनी जगह बना चुके मशहूर पापड़ कंपनी लिज्जत का नामकरण साल 1962 में हुआ था। तब संस्था का नाम ‘श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़’ रखा गया। साल 2002 में लिल्जत पापड़ का टर्न ओवर करीब 10 करोड़ था। फिलहाल इसकी 60 से ज़्यादा ब्रांच हैं, जिसमें लगभग 45 हज़ार महिलाएं काम संभाल रही हैं। साल 2018 में कंपनी ने 800 करोड़ का टर्न ओवर बनाया है।