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भारत सरकार से परमीशन होगी जरूरी
नए नियमों के अनुसार चीन के अलावा सभी पड़ोसी देशों को भारत में निवेश के लिए मंजूरी लेनी होगी। कंपनियों के मैनेजमेंट कंट्रोल पर असर पडऩे वाले विदेशी निवेश के लिए मंजूरी जरूरी है। अगर सरकार की ओर से तय कर दिया जाता है कि किसी सेक्टर में एफडीआई की सीमा कितनी होगी, तभी कोई विदेश की कोई कंपनी सीधे भारत की किसी कंपनी या किसी सेक्टर में पैसे लगा सकती है।
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इसलिए उठाया गया है कदम
वास्तव में मौजूदा समय में कोरोना वायरस की वजह से कंपनियों का मार्केट कैप काफी गिर गया है। शेयरों में गिरावट आने की वजह से विदेशी कंपनियां भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण कर सकती हैं। इसी को रोकने के लिए के नियमों में संशोधन किया गया है। जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, इटली जैसे देश भी एफडीआई नियमों में बदलाव का फैसला कर चुकी हैं।
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चीनी बैंक ने खरीदे एचडीएफसी के करोड़ों शेयर
हाल ही में चीन के केंद्रीय बैंक ने एचडीएफ के करोड़ों शेयरों को अपने नाम कर लिया है। जिसके बाद चीनी केंद्रीय बैंक की एचडीएफ में हिस्सेदारी 1 फीसदी से ज्यादा हो गई है। खास बात तो ये है कि यह बात उस समय निकलकर आई जब चीन पूरी दुनिया में अपने निवेश को बढ़ाने में लगा हुआ है। आापको बता देंं कि एचडीएफसी देश का सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है। कोरोना वायरस की वजह से दुनियाभर के मार्केट क्रैश हुए हैं। जिसका खामियाजा एचडीएफसी को भी भुगतना पड़ा है।
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किसे कहते हैं एफडीआई
एफडीआई का अर्थ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश होता है। कोई विदेशी कंपनी भारत की किसी कंपनी में सीधे पैसा लगा दे। जैसे वॉलमार्ट ने हाल ही में फ्लिपकार्ट में पैसा लगाया है। तो ये एक सीधा विदेशी निवेश है। भारत में कई ऐसे सेक्टर हैं, जिनमें विदेशी कंपनियां भारत में पैसा नहीं लगा सकती हैं।