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सरकार तैयार कर रही है प्रपोजल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार के अनुसार देश में सिर्फ चार से पांच बैंक सरकारी बैंक काफी हैं। जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार प्राइवेटाइजेशन को लेकर एक नया प्रपोजल लेकर आने वाली है। जिसमें बैंकों की संख्या को कम करने का भी प्रपोजल होगा। इस पूरे प्रपोजल को पहले केंद्रीय मंत्रीमंडल के सामने रखा जाएगा। वैसे इस मामले में फाइनेंस मिनिस्ट्री की ओर से किसी तरह का कॉमेंट नहीं आया है।
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इसलिए सरकार चाहती है बैंकों प्राइवेटाइजेशन
मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले के अनुसार कोरोना वायरस की वजह से फाइनेंशियर सिस्टम काफी सुस्त है। जिसकी वजह से देश और सरकार दोनों को फंड की कमी से जूझना पड़ रहा है। जिसकी वजह से सरकार नॉन कोर कंपनी और सेक्टर की परिसंपत्तियों को बेचकर फंड एकत्र करने की योजना बना रही है। वैसे देश की कई सरकारी कमेटियों और रिजर्व बैंक भी कह चुका है कि देश में पांच से ज्यादा बैंकों की जरुरत नहीं है। इसके विपरीत सरकार कह चुकी है कि सरकारी बैंकों में और कोई विलय नहीं देखने को मिलेगा। यानी बैंकों के प्राइवेटाइजेशलन के अलावा सरकार के पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है।
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सरकार की ओर से किया गया था ऐलान
वैसे सरकार की ओर से पिछले साल ही देश के 10 सरकारी बैंकों का विलस कर 10 बैंकों में परिवर्तित करने का ऐलान किया था। ताज्जुब की बात तो ये है कि बैंकों का प्राइवेटाइजेशन उस समय सोचा हजा रहा है जब कोरोना वायरस महामारी के कारण बैंकों के एनपीए बढऩे की संभावना है। मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि इस वित्त वर्ष में बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का कदम नहीं उठाया जाएगा, क्योंकि मौजूदा समय में कोरोना वायरस की वजह से इकोनॉमी में ठहराव देखने को मिल रहा है। जिसकी वजह से एनपीए दोगुना होने के आसार हैं।