ए-अवेयरनेस
ब्रांड व उत्पाद के बारे में जागरूकता: उत्पाद या सेवा के बारे में लोगों को जागरूक करें। इससे काफी मदद मिलती है।
मार्केटिंग और प्रचार: सोशल मीडिया, विज्ञापन, इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग और पीआर का उपयोग कर अपने उत्पाद की पहचान बढ़ाएं। इस पर ध्यान दें कि लक्षित ग्राहक वर्ग तक पहुंचने के लिए सही चैनल का चयन किया जाए।
नेटवर्किंग और इवेंट्स: अपने उद्योग से संबंधित इवेंट्स में भाग लें। नेटवर्किंग से नए अवसरों का पता चलेगा और संभावित साझेदार, ग्राहक या निवेशक मिल सकते हैं।
बी-बिजनेस मॉडल
मजबूत और स्केलेबल मॉडल: आपको एक ऐसा व्यवसाय मॉडल बनाना होगा, जो न केवल वर्तमान में काम कर रहा हो, बल्कि भविष्य में भी बढ़ सके।
राजस्व स्रोत: व्यवसाय का मुख्य राजस्व स्रोत उत्पाद बिक्री, सब्सक्रिप्शन या अन्य तरीका हो सकता है। इसलिए राजस्व प्रवाह मजबूत बनाना जरूरी है।
मूल्य निर्धारण: उत्पाद का सही मूल्य निर्धारण करें, ताकि लागत निकल सके।
सी- कस्टमर फोकस
ग्राहक की जरूरतों को समझें: ग्राहकों की समस्याओं व जरूरतों के आधार पर अपने उत्पाद या सेवा को ढालें।
ग्राहक अनुभव: ग्राहकों का अनुभव बेहतर बनाने के लिए उत्कृष्ट सेवा दें। यही आपकी सफलता की कुंजी हो सकती है।
फीडबैक और सुधार: ग्राहकों से नियमित फीडबैक लें और अपनी सेवाओं में सुधार करें। ग्राहक की संतुष्टि के आधार पर नए उत्पाद या सुविधाएं पेश करें।
डी-डेटा ड्राइव डिसीजन
उत्पाद का विकास: लगातार अपने उत्पाद में सुधार करें। यह सुनिश्चित करें कि आप ग्राहक की जरूरतों को पूरा करते रहें।
डेटा का उपयोग: मार्केटिंग, ग्राहक की पसंद और व्यावसायिक प्रदर्शन को मापने के लिए एनालिटिक्स का उपयोग करें।
स्केलेबिलिटी: अपने व्यवसाय को स्केल करें। ग्राहकों की संख्या के साथ टीम और उत्पाद को भी बढ़ाना होगा।
ये भी बड़े कारण
शुरुआती चरण में अधिकतर स्टार्टअप फाउंडर्स के पास पर्याप्त पूंजी (फंडिंग) और मैनपावर का अभाव। कई स्टार्टअप मेंटर हायर ही नहीं करते।
मेंटर ही नहीं होता, जो बता सके कि कब क्या करना है। फाइनेंस और कानूनी मोर्चे पर मार्गदर्शक का अभाव।
बिजनेस मॉडल और नियामक प्रक्रियाओं को लेकर अज्ञानता। अधिकतर उद्यमियों को यह गलतफहमी रहती है कि स्टार्टअप के सफल होने के लिए उत्पाद को लेकर इनकी विशेषज्ञता ही काफी है।
कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण बाजार की मांग और जरूरत के हिसाब से प्रोडक्ट डेवलप नहीं करना।
प्रोडक्ट कितना भी अच्छा हो, खराब मार्केटिंग स्ट्रैटजी कभी भी स्टार्टअप को सफल नहीं होने देती है।