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मिली जानकारी के मुताबिक, स्ट्रैटेजिक और नॉन-स्ट्रैटेजिक सेक्टर्स में सरकार की मालिकाना हक वाली ईकाईयों का रोडमैप इसी नीति के आधार पर तैयार होगा। इसे लेकर बुधवार को एक कैबिनेट बैठक भी आयोजित की गई थी। इस बैठक में शामिल दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने इससे जुड़ी कुछ बातें मीडिया से साझा की । उन्होंने बताया कि निजीकरण नीतियों के बारे पूरी जानकारी वित्त मंत्री के बजट भाषण में होगा।
अधिकारी ने बताया कि मई 2020 में जिस आत्मनिर्भर भारत पैकेज का वित्त मंत्री ने ऐलान किया था, वो भी इसी पैकेज का हिस्सा है। इस पॉलिसी के बारे में ऐलान करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा था कि एक ऐसी सुसंगत नीति को तैयार किया जा रहा है, जहां सभी सेक्टर्स को प्राइवेट सेक्टर्स के लिए खोला जाएगा।वहीं सरकार नॉन-स्ट्रैटेजिक सेक्टर्स की कंपनियों से पूरी तरह से बाहर निकलने के मूड है। हालांकि, केस के आधार पर तय होगा कि इन सेक्टर्स की किन कंपनियों से सरकार कब अपनी हिस्सेदारी खत्म करेगी।
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क्या-क्या है स्ट्रैटेजिक सेक्टर्स में शामिल ?
डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट द्वारा तैयार किए गए ड्राफ्ट के मुताबिक, स्ट्रैटेजिक सेक्टर्स में 18 सेक्टर्स को शामिल किया गया है। इसमें मुख्यत: मैन्युफैक्चरिंग एंड प्रोसेसिंग, डिफेंस, बैंकिंग, पावर, फर्टीलाइजर्स, टेलिकॉम, और इंश्योरेंस शामिल है।