शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
भादो मास के कृष्ण पक्ष के तृतीया तिथि की शुरुआत 17 अगस्त शनिवार को रात 10 बजकर 48 मिनट से ही हो जाएगी और यह 18 अगस्त रविवार को आधी रात में 1 बजकर मिनट बजे खत्म होगी। ऐसे में दिन भर पूजा का विधान है। इस दिन सुबह जल्दी से स्नान आदि कर पूजा की शुरुआत करें। संभव हो तो इस दिन नये वस्त्र जरूर पहनें। इसके बाद मिट्टी से भगवान शिव एवं माता पार्वती की मूर्ति बनाकर विधि-विधान से उनकी पूजा करें। साथ ही सुहाग का सामान मां पार्वती को अर्पित करें। कजरी तीज के दिन गाय का पूजन भी किया जाता है।
कजरी तीज और सोलह श्रृंगार
कजरी तीज में माता पर्वती की प्रतिमा का जुलूस निकाला जाता है, कंवारी लड़कियां घूमर नृत्य भी करती है। विवाहित महिलाएं इस दिन पतियों की दीर्घ जीवन के लिए प्रार्थना करती है, पूजा में अखण्ड दीपक जलाकर पूरी जागती है। इस दिन महिलाएं हाथ में मेंहदी लगाती हैं और सोलह श्रृंगार भी करती है।
भादों माह में कृष्ण जन्माष्टमी सहित ये प्रमुख व्रत और पर्व-त्यौहार है
इस दिन झूला भी झूला जाता है
महिलाएं कजरी तीज पर्व के दिन स्वादिष्ट स्वादिष्ट भोजन पकवान बनाती है, जैसे मालपुवा और घेवर के कई विशेष व्यंजन भी तैयार किए जाते है। माता पार्वती के सामने गाना गाते हुए नृत्य भी करती है। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली का आनंद लेते हुए इस दिन झूला झूलते हुए गीत भी गाती है।
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