जानकारों के अनुसार इस दिन पूजन के दौरान भगवान गणेश के मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए। मान्यता के अनुसार गणपति बप्पा को इस दिन अपने घर में लाकर विराजमान करने से वे अपने भक्तों के समस्तम विध्न, बाधाएं दूर करते हैं। इसी कारण गणेश जी को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। गणेश चतुर्थी को लोग गणेश जी को अपने घर लाते हैं, वहीं इसके पश्चात गणेश चतुर्थी के 11वें दिन धूमधाम के साथ उन्हें अगले बरस जल्दी आने की प्रार्थना के साथ प्राकृतिक जलाशयों में विसर्जित किया जाता है।
इस तरह करें गणेश चतुर्थी पर श्री गणेशजी की पूजा-
: गणेश चतुर्थी के दिन श्री गणेशजी को अपने घर लाना के पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में स्नानादि नित्य कर्म के पश्चात श्री गणेशजी का ध्यान करना चाहिए।
: इसके पश्चात गणेश जी की प्रतिमा को धूमधाम के साथ घर लाकर विराजमान करें, ध्यान रखें कि इस दिन भूलकर भी चंद्रमा के दर्शन न करें।
: घर लाई श्री गणेशजी की प्रतिमा को किसी चौकी पर आसन लगाकर स्थापित करें, इसके साथ ही एक कलश में सुपारी डालकर किसी कोरे (नए) कपड़े में बांधकर रखें।
: भगवान श्री गणेशजी को स्थापित करने के बाद पूरे परिवार सहित उनकी पूजा करें और उन्हें सिंदूर और दूर्वा अर्पित करें।
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: श्री गणेशजी को लड्डू या मोदक का भोग लगाने के पश्चात लड्डूओं को प्रसाद के रुप में बांट दें।
: गणेश चतुर्थी के दिन से लेकर विसर्जन के दिन तक सुबह और शाम दोनों समय गणेश जी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।
: इस दौरान गणेश जी की कथा पढ़े या सुनें, साथ ही गणेश चालीसा का पाठ भी करें।
: हर रोज पूजा के बाद सबसे अंत में गणेश जी की आरती जरुर गाएं।
जानकारों का मानना है कि विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेशजी के नाम से स्पष्ट होता है कि वह हमारे सारे विध्नों को हरने वाले देव हैं। प्रथम पूज्य श्री गणेश हमारे सभी कार्यों को सरलता से पूर्ण करते हैं, इसके अलावा जन्मकुंडली अध्ययन के अंतर्गत बुध ग्रह जो कि बुद्धि,वाणी,लेखनकला, संपादन आदि का कारक ग्रह है उसका स्वामित्व भी गणपति को प्राप्त है, ऐसे में गजानन की पूजा, अर्चना और दान आदि से बुध दोष या बुध से जुड़ी समस्याओं का भी निराकरण होता है। जानकारों की मानें तो अपने जीवन में सुख, शांति,सरलता, विद्या आदि की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को गणपति पूजन अवश्य करना चाहिए, ऐसा करने से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होगी बल्कि आपके मनोरथ भी पूर्ण होंगे।
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इसके तहत जातक को गणेश वंदना, गणेश अर्थवशीर्ष, गणेश आरती नियमित करनी चाहिए। साथ ही श्री गणेशजी को नियमित पुष्प, मिष्ठान, धूप दीप मंत्रोच्चारण सहित अर्पित करने चाहिए, इसके अलावा हरी वस्तुओं का दान व गणेश जी को दूर्वा अर्पित अवश्य करनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करते हुए श्री गणेशजी से अपनी मनोकामना निश्चल भाव से कहनी चाहिए,वहीं ये भी मान्यता है कि संकटनाशक गणेश स्त्रोत का पाठ करने वाले जातक की गणपति देव सदैव मनोकामना पूर्ण करते हैं।