सुबह, दोपहर और शाम तीन समय सूर्य देव विशेष रूप से प्रभावी होते हैं
सुबह के वक्त सूर्य की आराधना से सेहत बेहतर होती है
दोपहर में सूर्य की आराधना से नाम और यश बढ़ता है
शाम के समय सूर्य की आराधना से जीवन में संपन्नता आती है
शाम के समय सूर्य अपनी दूसरी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं
इसलिए प्रत्यूषा को अर्घ्य देना तुरंत लाभ देता है
जो डूबते सूर्य की उपासना करते हैं, वो उगते सूर्य की उपासना भी जरूर करें
जिन लोगों का कोई काम सरकारी विभाग में अटका हो
जिन लोगों की आंखों की रोशनी घट रही हो
जिन लोगों को पेट की समस्या लगातार बनी रहती हो
जो विद्यार्थी बार-बार परीक्षा में असफल हो रहे हों
छठ के अंतिम दिन सूर्य को अरुण वेला में अर्घ्य दिया जाता है
यह अर्घ्य सूर्य की पत्नी ‘ऊषा’ को दिया जाता है
ये अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जाता है
इस अर्घ्य के बाद महिलाएं जल पीकर और प्रसाद खाकर व्रत खोलती हैं
छठ का केवल अंतिम अर्घ्य देने से भी पूरी होती है मनोकामना
छठ व्रत का समापन नींबू पानी पीकर ही करें
व्रत के समापन के तुरंत बाद अनाज और भारी खाना न खाएं
अंतिम अर्घ्य के बाद सभी लोगों में प्रसाद जरूर बांटें
नदी के जल को गंदा न करें, साफ़ सफाई का विशेष ध्यान रखें
किसी छठ व्रतधारी की सेवा और सहायता करें
गुड़ और आटे की विशेष मिठाई ‘ठेकुवा’ जरूर बनाएं
फिर इसे गरीबों और बच्चों में बांटें
छठ के दोनों ही अर्घ्य जरूर दें और सूर्य देव से कृपा की प्रार्थना करें
छठ का व्रत रखने वाले लोगों के चरण छूकर आशीर्वाद जरूर लें