गौरतलब है कि वर्ष 2013-14 में गोरखपुर विश्वविद्यालय ने बीएड परीक्षा आयोजित कराई थी। इसमें कुल एक लाख पचास हजार स्टुडेंट्स ने परीक्षा दी थी। इनमें से एक लाख पंद्रह हजार को प्रवेश दे दिया, जबकि पैतीस हजार खाली रह गए। इसी बीच उच्चतम न्यायालय में मेरठ के एक कॉलेज ने याचिका दायर कर मांग की कि उन अभ्यर्थियो को भी प्रवेश की अनुमति दी जाएजो परीक्षा में बैठे ही नहीं थे, कहा था कि यह छात्र एनसीटीई के मानक पूरा करते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने यह याचिका 25 नवम्बर 2013 को खारिज करते हुए कहा कि 16 नवम्बर 2013 के बाद बीएड में किसी को प्रवेश नहीं दिया जा सकता। इस आदेश के प्रकाश में 35 हजार बीएड छात्रों का परिणाम रुका था। अदालत ने सुनवाई के बाद स्पष्ट किया कि इस परिणाम से उच्चतम न्यायालय के आदेश का मतलब नहीं है। वह आदेश दूसरे संदर्भ में है । लिहाजा 35 हजार स्टुडेंट्स का परिणाम घोषित किया जाए।