यूपी में मुसलमान – वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश में करीब 3.84 करोड़ मुसलमान हैं। यानि की कुल आबादी का लगभग 19.26 फीसदी है। मुस्लिम वोटरों का सूबे की कुल 130 सीटों पर असर है। इनमें से 70 सीटों पर मुस्लिम जनसंख्या बीस से तीस फीसद है वहीं 73 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुसलमान करीब तीस फीसद हैं। यूपी की करीब तीन दर्जन विधानसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम उम्मीदवार किसी का मुंह नहीं तकता है सिर्फ अपने दम पर फतह का पताका फैलाता है। अब 107 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां अल्पसंख्यक मतदाता किसी को हरा सकता है।
1) यह भी पढ़ें : चुनाव में मुस्लिम महिलाओं को भाजपा के साथ लाने की तैयारी, संघ ने तैयार की रणनीति अब धर्मगुरु के कहने पर वोट नहीं – चुनाव 2022 में मुसलमान वोटर कहां जाएगा। यह सवाल सभी राजनीतिक दलों के चिंतन में है। वैसे अब तक चुनावों में रहा है कि मुस्लिम धर्म गुरुओं के फतवे के बाद एकमुश्त वोट उस पार्टी को दे देते थे। पर अब फिजाएं बदल गईं हैं। मुसलमानों वोटरों का नजरिया बदल गया है। सीएसडीएस एक संस्था है जो चुनाव बाद सर्वेक्षण करता है। और यह पता लगाने की कोशिश करता है कि किस सामाजिक समूह ने किसे वोट दिया है।सीएसडीएस के अनुसार अब मुसलमानों की बड़ी तादाद किसी धर्मगुरु के कहने पर वोट नहीं देता है। यानी मुसलमान नागरिक भी वैसे ही अपनी पसंद तय करते हैं, जैसे दूसरे तय करते हैं।
2) यह भी पढ़ें: पश्चिम यूपी के कई कद्दावर मुस्लिम नेताओं को नहीं भा रहा हाथी, ढूंढ़ी नई सवारी मुसलमानों की प्राथमिकता बदली – आज मुसलमानों की प्राथमिकता बदल गई। अब उनका जोर बुनियादी सुविधाओं पर है। उनकी प्राथमिकताओं में अब बच्चों की पढ़ाई है। सेहत उनकी जरूरतों में आ गई है। बेटियों की पढ़ाई का प्रतिशत बढ़ा है। सरकारी आंकड़े बता रहे हैं कि छात्रवृत्ति, टर्म लोन, बेटी की शादियों के लिए बनी सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लक्ष्य लगभग पूरा हो रहा है। आहिस्ता-आहिस्ता आ रहे इन बदलावों ने मुसलमानों की पुरानी मानसिकता को तोड़ना शुरू कर दिया है। चुनावी अपीलों में अब काजियों के फतवे असर नहीं दिखा पाते।
3) यह भी पढ़ें- यूपी के 20 फीसद मुस्लिमों की चुप्पी हर राजनीतिक दल को कर रही हैरान देश को बाई चांस नहीं, बाई च्वॉइस चुना – मौलाना मो. यामीन कासमी दारुल उलूम देवबंद प्रवक्ता, मौलाना मो. यामीन कासमी का कहना है कि, देश में मुस्लिमों के हालात बदलने के लिए शिक्षा बेहतर की जाए। मुसलमान ने देश को बाई चांस नहीं, बाई च्वॉइस चुना है। सियासत तो देश की तरक्की के नाम पर होनी चाहिए।
बेहतर काम करने वाले को वोट – मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया अध्यक्ष मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहाकि, फिलहाल सबसे बड़ा मुद्दा बुनियादी चीजें लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही हैं। मेरी लोगों से अपील है कि समाज के लिए बेहतर काम करने वाले उम्मीदवारों को वोट देकर एक बेहतर सरकार बनाएं।
इस बार मस्जिद, श्मशान और कब्रिस्तान पर वोट नहीं – मौलाना सैफ अब्बास शिया चांद कमेटी अध्यक्ष मौलाना सैफ अब्बास ने कहाकि, महंगाई की मार से कोई एक मजहब के मानने वाले ही परेशान नहीं हैं, बल्कि सभी हैं। इस बार मंदिर, मस्जिद, श्मशान और कब्रिस्तान के नाम पर लोग वोट नहीं करेंगे। जनता अभी कुछ बोल नहीं रही है। जनता की खामोशी चुनाव में वोट की चोट करेगी।
मुस्लिम वेट एंड वॉच वाली स्थिति में – मौलाना तौकीर रजा ऑल इंडिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा, भाजपा को छोड़ दें तो कथिततौर पर कई सेक्युलर पार्टियां भी हैं जिन्हें मुसलमानों का वोट तो चाहिए, पर उनकी बुनियादी समस्याओं पर मौन साध लेती हैं। उन्हें भी डर रहता है कि मुसलमानों की समस्याओं का समाधान होने से उनका बड़े वर्ग का वोट न दूर हो जाए। आरक्षण मामले में हिंदू दलित को आरक्षण दिया जा सकता है पर मुस्लिम दलित को नहीं क्यों ? आने वाले चुनावों में अभी मुस्लिम वेट एंड वॉच वाली स्थिति में है।
अधिकारों को लेकर आई चेतना – मोहम्मद सलीस ऑल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल महासचिव हाजी मोहम्मद सलीस कहते हैं, मुस्लिमों में अपने अधिकारों को लेकर चेतना आई है। सोच में बदलाव दिख रहा है। अब मुस्लिम उम्मीद करते हैं कि उनके मदरसों का आधुनिकीकरण कर आधुनिक शिक्षा दी जाए।
मतदान में खुद निर्णय लेने लगीं हैं मुस्लिम महिलाएं – हिना जहीर मुस्लिम महिलाओं की स्थिति पर कानपुर की महिला शहर काजी और ऑल इंडिया मुस्लिम ख्वातीन बोर्ड की राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. हिना जहीर बताता हैं कि, मुस्लिम महिलाओं का मतदान प्रतिशत बढ़कर 35 फीसद हो गया है। अब परिवार के दबाव में नहीं, खुद तय करती हैं कि किसे वोट देना है।