अमरीकी विदेश मंत्री का क्रूड ऑयल आपूर्ति पर रुख
अमरीका और ईरान के बीच संभावित युद्घ से होने वाले नुकसान को भारत जब अपने पर आते देखता है तो केंद्र में बैठे सत्ताधारी नेताओं का खून सूखना लाजिमी है। क्योंकि किसी देश की जीडीपी क्रूड ऑयल की कीमतों पर काफी डिपेंड करती है। भारत ईरान का दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश था। ऐसे में ईरान पर अमरीकी प्रतिबंध ने भारत को काफी मुश्किल में डाल दिया है। इस पर भारत दौरे पर आए अमरीका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने बुधवार को कहा है कि अमरीकी प्रतिबंधों की वजह से भारत ने ईरान से क्रूड ऑयल खरीदना बंद कर दिया है। ऐसे में अब जिम्मेदारी वॉशिंगटन की है कि वो भारत को पर्याप्त मात्रा में कच्चे तेल की आपूर्ति करे। अमरीका इस बात के लिए भारत को आश्वस्त भी करता है।
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क्रूड ऑयल को लेकर 7 महीने की स्थिति
जब से ईरान पर अमरीकी प्रतिबंध लगे हैं, तब से भारत ने अमरीका से अपना आयात बढ़ा दिया है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक देश है। ऐसे में भारत ने अमरीका से नवंबर 2018 से लेकर मई 2019 तक रोजाना करीब 1,84,000 बैरल तेल खरीदा। वहीं पिछले साल की समान अवधि में यह आंकड़ा रोजाना लगभग 40,000 बैरल था। वहीं भारत ने ईरान से 48 फीसदी कम तेल खरीदा और यह लगभग 2,75,000 बैरल प्रतिदिन रहा। मई तक भारत ईरान के क्रूड ऑयल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार था।
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आखिर अमरीका क्रूड पर उदार क्यों
भारत के लिए क्रूड ऑयल को लेकर अमरीका की यह उदारता स्वाभाविक है? इस सवाल का जवाब देते हुए एंजेल ब्रोकिंग रिसर्च एंड कमोडिटीज के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि ईरान पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब अमरीका को अपने तेल के खजाने खोलना मजबूरी बन गया है। क्योंकि उसे दो चीजों से लडऩा है। पहला महंगाई और दूसरा आने वाले दिनों में अमरीका में प्रेसीडेंट के चुनाव। अमरीकी सरकार भारत को तेल आपूर्ति पर उदारता इसलिए भी दिखा रहा है क्योंकि ट्रंप सरकार दुनिया में अपनी छवि को चुनावों से पहले स्पष्ट करने में जुटी है। वहीं कुछ लोगों का दबी जुबान में यह भी कहना है कि ट्रंप भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की छवि को भी प्रेसीडेंट इलेक्शन में भुनाने की कोशिश में है। क्योंकि अमरीका में बहुतायात में ऐसे भारतीय हैं जो मोदी के कट्टर समर्थक हैं। जिनका वोट ट्रंप को आसानी से मिल सकता है।
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट
जिस तरह से अमरीका चाहता है कि कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता अमरीका पर बढ़ जाए। ऐसे में भारत का क्या रुख होने की जरुरत है? इस सवाल के जवाब में अनुज गुप्ता का मानना है कि भारत के लिए कच्चे तेल की आपूर्ति का हल सिर्फ अमरीका नहीं निकाल सकता है। उसके ईरान के साथ भी कुछ समझौते करने होंगे। जिसमें अमरीकी डॉलर को शामिल ना कर दूसरी चीजों का निर्यात भारत द्वारा किया जा सके। साथ ओपेक देशों और सउदी अरब को भी अपने साथ लेकर चलना होगा। ताकि आने वाले दिनों में जिस तरह की स्थितियां बन रही है उसमें भारत को परेशानी ना हो।
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