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क्यों बेहतर हो सकती है भारतीय जीडीपी
मौजूदा समय और माहौल को देखते हुए रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि भारत के स्ट्रांग डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूशंस पॉलिसी मैटर्स में स्टेबिलिटी को बढ़ावा देते हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह तमाम बातें प्रति व्यक्ति आय कम होने के बावजूद भारत को मजबूती और संतुलन देते हैं। रेटिंग के अनुसार लांग टर्म में भारत की ग्रोथ रेट को नुकसान होने की संभावना है, लेकिन आर्थिक सुधार जारी रहा तो भारत की ग्रोथ रेट दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा रहने के आसार हैं। आपको बता दें कि रेटिंग ने इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की जीडीपी अनुमान 11 फीसदी के आसपास लगाया था।
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रेटिंग को रखा स्थिर
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग्स बीबीबी- पर अपरिवर्तित रखी। रेटिंग्स एजेंसी ने भारत की विदेशी और स्थानीय मुद्रा पर अपनी अयाचित रेटिंग्स दीर्घकाल के लिए बीबीबी- और अल्पकाल के लिए ए-3 की पुष्टि की है। इसके अलावा एसएंडपी ग्लोबल रेटिग्स ने कहा है कि दीर्घकाल रेटिंग पर भारत का परिदृश्य स्थिर है। रेटिंग के अनुसार स्थिर परिदृश्य हमारी इस अपेक्षा को जाहिर करता है कि कोविड-19 महामारी पर लगाम लगने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था सुधरेगी, देश अपनी शुद्ध बाहरी स्थिति को बनाए रखेगा।
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मौजूदा ग्रोथ में 5 फीसदी की गिरावट
रेटिंग के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था ज्यादातर कोविड-19 महामारी के कारण वित्त वर्ष 2021 में सिकुड़ेगी। वास्तविक जीडीपी वृद्धि में पांच फीसदी की गिरावट देखने को मिल सकती है। जो हाल के इतिहास में सबसे बुरा आर्थिक प्रदर्शन होगा। एजेंसी ने बयान में कहा है कि महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में गिरावट के साथ ही घरेलू स्तर पर वायरस के प्रसार को रोकने के लिए किए गए सख्त घरेलू उपायों के कारण अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है, और परिणाम स्वरूप इस वित्त वर्ष की प्रथम तिमाही में गतिविधियों में काफी गिरावट आएगी।