Lockdown के बीच मई में wholesale price inflation में राहत, सरकार की ओर से जारी हुआ आंकड़ा
जरूरी नहीं ऐसी स्थिति में ग्रोथ हो
तीन साल पहले जीएसटी की शुरुआत हुई थी। जिसमें केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को उस सूरत में कंपनसेशन देने का वादा किया गया था कि अगर राज्य सरकार को 14 फीसदी जीएसटी कलेक्शन ग्रोथ ना होने के कारण राजस्व की हानि होती है। केंद्र के एक अधिकारी के अनुसार सरकार कंपनसेशन देने से पीछे नहीं हट रही है, लेकिन क्या इस एक अप्रत्याशित घटना की श्रेणी में नहीं रखना चाहिए, जो किसी के हाथ में नहीं है? यह एक तरह का एक्ट ऑफ गॉड है।
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मई में इतना हुआ जीएसटी कलेक्शन
शुक्रवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार मई में जीएसटी संग्रह 62,000 करोड़ रुपए से अधिक हुआ है। जो कि अप्रैल के मुकाबले दोगुना है, लेकिन एक साल पहले की तुलना में 38त्न कम है। जीएसटी कलेक्शन में इस उछाल का एक बड़ा हिस्सा अप्रैल है। क्योंकि सरकार ने अप्रैल में जीएसटी फाइलिंग की सीमा को मई में खिसका दिया गया है। वहीं वास्तविक आंकड़ों का पता कुछ महीनों के बाद ही पता चल सकेगा।
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राज्य सरकारों के टैक्सेस को नहीं हुआ नुकसान
सूत्रों के अनुसार अप्रैल और मई के दौरान जीएसटी कलेक्शन लगभग 45त्न मासिक औसत रहा है, क्या राज्यों के लिए 114त्न की मांग करना उचित है? वहीं दूसरे सूत्र के अनुसार राज्यों के वैट, उत्पाद शुल्क और संपत्ति कर संग्रह का नुकसान नहीं हुआ है। जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मार्च में सुझाव दिया था कि जीएसटी परिषद बाजार के उधार के विकल्प को भी देख सकती है। शुक्रवार को बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी इसे इंगित किया है।
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केंद्र सरकार नहीं है ऐसा स्थिति
वहीं राज्य के एक वित्त सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि जीएसटी परिषद को मुआवजे की व्यवस्था करने की आवश्यकता है। वहीं वित्त सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार तकनीकी रूप से गलत नहीं है। केंद्र सरकार मौजूदा समय में भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं। एक राज्य के वित्त मंत्री ने माना कि जीएसटी कलेक्शन में 14त्न वार्षिक वृद्धि हासिल करने में विफल रहने पर केंद्र के लिए क्षतिपूर्ति करना संभव नहीं हो सकता है। लॉकडाउन से पहले भी बड़े पैमाने पर अंतर था क्योंकि 14त्न की वृद्धि का आश्वासन दिया गया था। अंतर से आर्थिक स्थिति बढ़ेगी।