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जानिए बीते 5 साल में कैसा रहा मोदी सरकार का रेल बजट

मिनी बुलेट चलाने की तैयारी भी तेज हो गर्इ है। तेज रफ्तार ट्रेनों से लेकर ड्राइवरलेस ट्रेन तक के लिए भारतीय रेल तेजी से काम कर रही है।

Jan 29, 2019 / 08:11 pm

Ashutosh Verma

Indian Railway

जानिए बीते 5 साल में कैसा रहा मोदी सरकार का रेल बजट

नर्इ दिल्ली। साल 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रेलवे के कायाकल्प को लेकर भी चुनावी वादा किया था। अब मोदी सरकार अपने कार्यकाल का पांच साल पूरा करने के साथ आगामी लोकसभा चुनाव के तरफ बढ़ रही है। मौजूदा सरकार महज कुछ दिनों बाद ही अपने कार्यकाल का अंतिम बजट पेश करने वाली है। क्या सरकार ने अपने सभी चुनावी वादे पूरे किए हैं। सबसे पहले रेलवे स्टेशन की बात करें तो बीते पांच सालों में देश के कर्इ रेलवे स्टेशनों की सूरत अब किसी एयरपोर्ट से कम नहीं है। रेलवे स्टेशनों पर मिलने वाली सुविधाएं पहले से बेहतर हुर्इ हैं। साथ ही मिनी बुलेट चलाने की तैयारी भी तेज हो गर्इ है। तेज रफ्तार ट्रेनों से लेकर ड्राइवरलेस ट्रेन तक के लिए भारतीय रेल तेजी से काम कर रही है।


मोदी सरकार का पहला रेल बजट

साल 2014 के रेलवे बजट में तत्कालीन रेलवे मंत्री ने प्राइवेट आैर विदेशी निवेश को लेकर बड़ा एेलाल किया था। उन्होंने सरकार के लिए अब तक का सबसे बड़ा बजट का 65,445 करोड़ रुपए का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने मुंबर्इ-अहमदाबाद काॅरिडोर पर बुलेट ट्रेन की भी घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, “बुलेट ट्रेन के लिए हमे बड़े निवेश की जरूरत है। रेलवे में विदेशी निवेश पर बैन था। हम वाणिज्य मंत्रालय से इस संबंध में बात कर रहे हैं।”


वित्त वर्ष 2015-16 में रेल बजट

रेलवे बजट में 2015-16 में, नए रेलवे मंत्री सुरेश प्रभु ने रेल किराये को स्थिर रखते हुए कोर्इ बदलाव नहीं किया। उस दौरान ग्राहकों की दी जाने वाले बेहतर सुविधाआें की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि आने वाले पांच सालों में रेलवे 8.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश लाएगा। साल 2014-15 में कुल बजट से साल 2015-16 में यह बढ़कर 1,00,011 करोड़ रुपए हो गया था। पिछले साल की तुलना में यह 52 फीसदी अधिक है।


वित्त वर्ष 2016-17 में रेल बजट

साल 2016-17 में कुल रेलवे बजट 1,21,000 करोड़ रुपए का रहा। पिछले साल में इसमें 21 फीसदी का आैर अधिक इजाफा कर दिया गया। सुरेश प्रभु ने इस साल तीन सुपरफास्ट ‘हमसफर’ जो कि 3AC सर्विसेज आैर मील का विकल्प भी था। इस साल सरकार ने 400 रेलवे स्टेशनों को रि-डेवलप करने की भी घोषणा की थी। सरकार ने इन स्टेशनों पर WiFi की सुविधा देने की घोषणा की। बीते कर्इ सालों में सरका ने पहली बार फ्रेट दरों में कटौती की।


आम बजट में शामिल हुआ रेल बजट

इस साल ही एेतिहासिक फैसला लेते हुए सरकार ने रेलवे बजट को आम बजट में विलय कर दिया। इसके साथ भारतीय इतिहास में 92 साल के रेलवे बजट को अलग से पेश करने का चलन खत्म हो गया। साल 2017-18 में कुल रेलवे बजट 1,31,000 करोड़ रुपए का रहा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घोषणा किया कि पांच साल में रेलवे सेफ्टी फंंड बनया जाएगा जिसमें 1,00,000 करोड़ रुपए का प्रावधान होगा। विकलांग श्रेणी के लोगों के लिए 500 रेलवे स्टेशनों पर व्यवस्था की जाने की घोषणा की गर्इ।


पिछले साल यानी 2018-19 के बजट में रेलवे एक्सपेंडिचर के 1.48 लाख करोड़ रुपए रहा है। पिछले साल जेटली ने अपने बजट में कहा, “इसमें से अधिकतर पूंजी का इस्तेमाल रेलवे विस्तार के लिए किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि नेशनल ट्रांसपोर्टर के लिए वरियता दी जाएगी। पिछले साल जेटली ने आम बजट में 18,000 किलोमीटर के विस्तार करने की घोषणा भी की।
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