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समिति की बैठक में शुक्रवार को यह फैसला किया गया। बैठक में सांसद विजय बघेल,कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी, विधायक डोमनलाल कोर्सेवाड़ा, ललित चंद्राकर और गजेन्द्र यादव भी समिलित हुए। बैठक में समिति द्वारा तांदुला जल संसाधन संभाग अंतर्गत वृहद व मध्यम जलाशयों में पर्याप्त जलभराव की स्थिति को देखते हुए किसानों के मांग की अनुरूप खरीफ की सिंचाई के लिए जलाशयों से पानी दिए जाने का निर्णय लिया गया।
बैठक में कलेक्टर ने गोंदली व खपरी जलाशय में पानी की भराव क्षमता बढ़ाने के लिए कैचमेंट एरिया में मनरेगा के तहत गहरीकरण कार्य, डेम सेटी योजना अंतर्गत जलाशय सुधार व बाढ़ आपदा प्रबंधन के तहत प्रस्ताव प्रेषित करने कहा। विधायक ललित चंद्राकर ने जलाशय सुधार एवं नहर मरमत के कार्य ग्रीष्म ऋतु में पूर्ण करा लिए जाने के सुझाव दिया।
विधायक यादव ने ग्रामीण क्षेत्रों में भू-जल ग्रहण क्षमता बढ़ाने नदी नालों के किनारे छोटे-छोटे सोता टैंक बनाए जाने पर जोर दिया।
नहर से हटाएंगे अतिक्रमण
बैठक में बांधों से छोड़े गए पानी व्यर्थ ना बहे व पानी टेल एरिया तक पहुंचे इसके लिए जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को नहरों की मरमत के निर्देश दिए गए। शहरी इलाकों में नहरों पर अतिक्रमण की शिकायतों पर ऐसे मामलों में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का फैसला किया गया। नगरीय निकाय, जल संसाधन विभाग और सभी विभागों के सहयोग से शहर के नहरों की जांच के लिए टीम गठित करने का भी निर्णय लिया गया।
90795 हेक्टेयर में सिंचाई का लक्ष्य
ईई एसके पाण्डेय ने बताया कि विगत वर्ष 2023-24 में जलाशयों द्वारा 72 हजार 247 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की सिंचाई की गई थी। वर्ष 2024-25 में 90 हजार 795 हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की सिंचाई प्रस्तावित है। ईई पाण्डेय ने समिति को 1074.58 करोड़ की लागत से प्रस्तावित महानदी-तांदुला लिंक परियोजना के संबंध में भी जानकारी दी। बैठक में उपसंचालक कृषि एलएम भगत, उपसंचालक उद्यानिकी पूजा कश्यप साहू भी उपस्थित थे।
जलाशयों में जलभराव की यह स्थिति
तांदुला जल संसाधन के ईई एसके पाण्डेय ने बताया कि तांदुला में 90.53 प्रतिशत, खरखरा में 100 प्रतिशत, गोंदली में 49.79 प्रतिशत, गंगरेल में 88.44 प्रतिशत तथा खपरी जलाशय में 81.75 प्रतिशत जलभराव है। इसी प्रकार 111 लघु जलाशयों में 76 प्रतिशत जलभराव है। जिसमें विधानसभा दुर्ग के 18 लघु जलाशयों में 76 प्रतिशत, पाटन के 20 जलाशयों में 97 प्रतिशत, अहिवारा के 13 जलाशयों में 90, साजा (धमधा) के 36 जलाशयों में 59 और बेमेतरा के 24 लघु जलाशयों में 65 प्रतिशत जलभराव है।