यह एक प्रभावशाली विश्लेषण और अध्ययन है। ह्यूस्टन में एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर के सीनियर डॉ. सुसान गिलक्रिस्ट का कहना है कि कैंसर और व्यायाम के बीच सीधा संबंध है। अब सवाल उठता है कि आखिर वे कौन सी एक्टिविटीज हैं, जिनसे कैंसर का खतरा घटता है। इस स्टडी मेंं कहा गया है कि पसीना बहा देने वाली चंद मिनट की गतिविधियों में कड़ी मेहनत वाला घरेलू कामकाज, किराने की दुकान से भारी सामान की खरीदारी, बहुत तेज कदमों से चलना (तेज वॉकिंग), बच्चों के साथ थकाने वाले खेल खेलना आदि शामिल हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि जो वयस्क मेहनत नहीं करते हैं उनमें छाती, कोलोन जैसे अंगों का कैंसर होने का जोखिम बढ़ जाता है। इसलिए व्यायाम जरूरी है।
72 % तक घटता है मेटास्टैटिक कैंसर का खतरा। जो लोग नियमित 30-40 मिनट्स एरोबिक्स एक्सरसाइज यानी रनिंंग, जॉगिंग करते हैंं। व्यायाम व कैंसर का संंबंध अलग-अलग रिसर्च की मानें तो मानव की शारीरिक रचना दौडऩे के लिए बनाई गई है। पहले लोग भोजन के लिए ज्यादा भागदौड़ करते थे। अब दिनचर्या बदल गई है ज्यादातर लोग निष्क्रिय जीवनशैली मेंं ंरहते हैंं। इसलिए डॉक्टर के पास जाने से बचने का सबसे अच्छा तरीका है, शारीरिक सक्रियता को बढ़ा दिया जाए। इसमें भी सबसे अच्छा व्यायाम दौडऩा है। इससे शरीर का हर सिस्टम सुधरता है। नहीं दौडऩे वाले की तुलना में दौड़ लगाने वाले लोगों के किसी भी कारण से मरने की 27% कम आशंका रहती है। उनके दिल की बीमारियों से 30% और कैंसर से जान गंवाने का खतरा 23%कम रहता है। दौडऩे से धमनियों में ब्लड का प्रवाह ठीक ढंग से होता और हार्ट को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है। इससे हार्ट अटैक का रिस्क भी कम हो जाता है। यदि आप नियमित रूप से रोज सुबह या शाम को दौडऩे की आदत डालते हैं तो इससे आपको स्वास्थ्य के लिहाज से काफी लाभ मिल सकते हंै। जो लोग हैवी वर्कआउट करते हैंं वे सप्ताह में 5 दिन ऐसा कर सकते हैं।
रनिंग शारीरिक रूप से एक बेहतर व्यायाम
रनिंग शारीरिक रूप से एक बेहतर व्यायाम है। देखा गया है कि जो लोग नियमित दौड़ लगाते हैंं उनकी उम्र न केवल अधिक होती है बल्कि कई गंभीर बीमारियों का भी खतरा काफी घटता है। उनकी इम्युनिटी अच्छी रहती और मौसमी बीमारियों से भी बचाव होता है। रनिंंग से गंभीर रोग जैसे कि कैंंसर, हार्मोनल डिजीज के साथ लाइफ स्टाइल से जुड़ी बीमारियांं जैसे ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, स्तन कैंंसर, पाचन और हृदय से जुड़े रोगों के साथ अधिक उम्र वाला दुष्प्रभाव भी रुकता है।
– डॉ. संदीप जसूजा, वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ व अधीक्षक, स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट