– डॉ. मनोज राजोरिया, सांसद निराशाजनक बजट, किसी वर्ग को राहत नहीं बजट में गरीब और मध्यमवर्ग के लिए कुछ नहीं है। बाजार को उठाने पर कोई कदम नहीं उठाया गया है। मनरेगा का बजट 25 फीसदी कम कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ी गई है। देश में प्रति व्यक्ति आय भी घटकर 1.32 लाख से 1.27 लाख हो गई है। देश में 4.6 करोड़ लोग गरीबी की ओर धकेल दिए गए हैं। कुल मिलाकर निराशाजनक बजट प्रस्तुत किया गया है।
– रोहित बोहरा, विधायक, राजाखेड़ा
देश के विकास को दिखाएगा नई राह
केन्द्रीय बजट देश के विकास को नई राह दिखाएगा। इसमें शहरीकरण, स्वच्छ बिजली, रोजगार के नए अवसरों और डिजिटल करेंसी को बढ़ावा देने की बात कही गई है। यह बजट विजन वाला बजट है और स्पष्ट तौर पर देश की तरक्की को नई दिशा देने पर काम करने में मददगार साबित होगा।
– शोभारानी कुशवाह, विधायक धौलपुर
ध्यान में रखा गया लोगों का हित केन्द्रीय बजट हर मायने में लोगों के हितों को ध्यान में रख कर बनाया गया है। कोविड के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई को देखते स्थानीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पीएम ई-विद्या कार्यक्रम को बढ़ाकर 200 चैनलों तक किया जाएगा। दो लाख आंगनबाडिय़ों को सशक्त बनाया जाएगा। बजट में किसानों से लेकर हर व्यक्ति का ध्यान रखा गया है। कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया है।
– पल्लवी गर्ग गोस्वामी, अध्यक्ष भाजपा महिला मोर्चा, धौलपुर अधूरी रह गई पुरानी पेंशन की मांग केंद्रीय बजट से कर्मचारी वर्ग निराश हुआ है। न टैक्स स्लैब में बदलाव किया है, न ही टैक्स छूट के दायरे को बढ़ाया है। कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग अधूरी रह गई। एनपीएस में कर्मचारी के 14 फीसदी योगदान पर टैक्स छूट एक झुनझुना है। दो साल तक पुराने आईटी रिटर्न भरने की अनुमति व 200 चैनलों की मदद से ई-एजुकेशन स्वागत योग्य है।
– डॉ. रनजीत मीणा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, नेशनल जॉइंट पेंशन एक्शन कमेटी एनजेपीएसी महंगाई और रोजगार के मोर्चे पर ये बजट फेल रहा है। ये बिल्कुल फुस्स बजट है। इस बजट में मिडिल क्लास को कुछ नहीं मिला है। लोगों को उम्मीद थी, लेकिन किसी को कुछ नहीं मिला। महंगाई से प्रभावित करदाताओं के लिए भी राहत नहीं है। आर्थिक स्तर पर बढ़ती असमानता का भी ध्यान नहीं रखा गया है। छोटे उद्योगों को भी इस बजट से कोई राहत नहीं मिली।
– गिर्राज सिंह मलिंगा, विधायक बाड़ी
केन्द्र सरकार ने सिर्फ अपना घर भरने का बजट प्रस्तुत किया है। आर्थिक सर्वे के अनुसार सरकार की आय 64.9 फीसदी बढ़ी है जबकि, देश में 84 फीसदी परिवारों की आय कम हुई है। वेतनभोगी और मध्यमवर्ग को कोई राहत नहीं दी गई है। मोदी सरकार की नीतियों ने देश के हर वर्ग को बर्बादी के कगार पर खड़ा कर दिया है। किसानों और युवाओं के लिए भी बजट में कुछ नहीं है।
खिलाड़ीलाल बैरवा, विधायक बसेड़ी
लोकलुभावन नहीं है यह बजट
चुनाव के बावजूद यह लोकलुभावन बजट नहीं है। कोविड के बाद बिगड़ी अर्थव्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। किसानों और स्टार्टअप्स के लिए अच्छे प्रावधान कर आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाए जा रहे हैं। करदाताओं को कोई राहत नहीं दी गई है। 80सी में भी रियायत बढ़ाई नहीं गई है। वेतनभोगियों और मध्यमवर्ग के लिए खास कुछ बजट में नहीं है।
– नितिन मोदी, कर सलाहकार धौलपुर
युवाओं और बढ़ती बेरोजगारी को देखते बजट को और बेहतर बनाया जा सकता था। टैक्स स्लेब में बदलाव नहीं कर मध्यम वर्ग और वेतनभोगियों को निराश किया गया है। वहीं, दो साल तक पुराने आईटी रिटर्न भरने की अनुमति व 200 चैनलों की मदद से ई-एजुकेशन सराहनीय कदम हैं। बजट में किसानों की बात करना एक अच्छा संकेत है। गरीब व वंचित वर्ग के लिए भी कुछ होना चाहिए था।
– सुबोध गुप्ता, जिला प्रभारी, लुपिन
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को संसद में पेश वर्ष 2022-23 बजट से महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक विषमता में बढ़ोतरी होगी। बजट आम जन को निराश करने वाला है। बजट में किसान, मजदूर, महिलाओं एवं मध्यम वर्ग का कोई ध्यान नहीं रखा गया। आयकर की सीमा नहीं बढ़ाए जाने से मध्यम वर्ग व नौकरीपेशा लोगों को निराशा हुई है।
– दुर्गादत्त शास्त्री, पूर्व अध्यक्ष कांग्रेस, धौलपुर