दीपावली को लेकर पूजन की तैयारियां प्रारंभ हो गई हैं। आज शाम मां लक्ष्मी का घर-घर पूजन किया जाएगा। बाजारों में बुधवार को भी जमकर खरीदारी हुई। लोगों ने सबसे ज्यादा मिट्टी से बनी लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियां व लक्ष्मी पन्ने खरीदे। माता के भोग लगाने को लोग तरह-तरह के पकवान बना रहे हैं। युवतियां मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए घरों, आंगन और दरवाजे पर रंगोली बनाकर सजा रही हैं। तो वहीं शहर में मिठाइयों की दुकानें भी सज-धज चुकी हैं। जहां सुबह होते खरीदारों की भीड़ लगने वाली है। इस बार दीपावली का पूजन विशेष फलदायी होगा। क्योंंकि 40 वर्षों बाद शुक्र गुरु की युति से समसप्तक योग का निर्माण हो रहा है।
शक्कर से बने खिलौनी खूब बिके लक्ष्मी पूजन के समय शक्कर से बने खिलौने जिनमें ऊंट, हाथी घोड़ा आदि होते उनसे पूजन करने का विधान होता है। साथ ही पूजन में खील का भी काफी महत्व माना जाता है। जिस कारण शक्कर के खिलौनी 80 से 100 रुपए किलो और खील 100 से 150 रुपए किलो बिकी। जिसे लोगों ने खूब खरीदा।
होगी पशु धन की पूजा, खरीदे गंडा दीपावली पर धन की पूजा करने का सबसे ज्यादा विधान है। इस कारण लोगा धन के साथ पशु धन की भी पूजा करते हैं। इस दिन लोग अपने पालुतू पशु गाय, भैंस और बछड़ा का पूजन करते हैं। उन्हें रंगी बिरंगे कलरों से उनका शृंगार किया जाता है और नए गंडा उनके लिए खरीदे जाते हैं। जिस कारण बाजार के फुटपाथ पर गंडा बेचने वालों की खूब चांदी रही।
31 अक्टूबर को प्रदोष से लेकर निशिथा काल दीपावली को लेकर इस बार अलग-अलग ज्योतिषाचार्यों की गणना ने दिपावली को दो दिवसीय बना दिया है। वैसे देखा जाए तो 31 अक्टूबर को ज्यादातर जगह ही दीपावली मनाई जा रही है। तो कुछ जगह 1 नवम्बर को मनाई जाएगी। शहर में 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाई जा रही है। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या की रात्रि ही दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार 31 अक्टूबर के दिन दीवाली का पर्व और लक्ष्मी पूजन करना सबसे अधिक फलदाई होगा क्योंकि दिवाली का पर्व तभी मनाना उत्तम रहता है जब प्रदोष से लेकर निशिथा काल तक अमावस्या तिथि रहे।
कब से शुरू हो रही अमावस्या तिथि इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:22 मिनट से शुरू हो रही है और 01 नवंबर को सायं 5 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। माता लक्ष्मी अमावस्या तिथि में प्रदोष काल और निशिथ काल में भ्रमण करती हैं इसके कारण माता की पूजा प्रदोष काल और निशीथ काल में करने का विधान होता है। पंचांग के मुताबिक 31 अक्टूूबर, गुरुवार के दिन पूरी रात्रि अमावस्या तिथि के साथ प्रदोष काल और निशीथ मूहूर्त काल भी है।
पूजन का शुभ मुहुर्त दीपावली का पूजन प्रतोष काल में किया जाता है। इसलिए 31 को प्रदोष काल का समय शाम 5 बजकर 36 मिनट से रात्रि 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। वहीं वृषभ लग्न का समय शाम 6 बजकर 25 मिनट से लेकर रात्रि 8.15 तक रहेगा। इस दौरान लक्ष्मी पूजन शुभ होता है।