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धौलपुर

स्कूल में नहीं पीने के पानी की व्यवस्था, पड़ोस से लाकर शिक्षक पिला रहे बच्चों को पानी

धरातल स्तर पर ध्यान ना देने से प्रदेश की ‘शिक्षा’ दलदल में पहुंच चुकी है। जहां बच्चों के भविष्य के साथ उनका जीवन भी दाव पर लगा रहता है। ओंडेला स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय जिरोली की कहानी भी कुछ इसी प्रकार की है।

धौलपुरDec 04, 2024 / 09:52 pm

rohit sharma

धौलपुर. विद्यालय के सामने हो रहा जलभराव।

धौलपुर. धरातल स्तर पर ध्यान ना देने से प्रदेश की ‘शिक्षा’ दलदल में पहुंच चुकी है। जहां बच्चों के भविष्य के साथ उनका जीवन भी दाव पर लगा रहता है। ओंडेला स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय जिरोली की कहानी भी कुछ इसी प्रकार की है। जो सालों से गंदे तालाब के साए में संचालित हो रहा है। जहां चहुंओर पसरा गंदा पानी और खड़े बबूल के पेड़ शिक्षा विभाग के कार्यप्रणाली को उजागर कर रहे हैं।
बच्चों को अच्छी शिक्षा देने का दावा सरकार करती है। ऐसा नहीं है कि इसके लिए कोई प्रयास नहीं किए जाते हों, शिक्षा का स्तर सुधारने यथासंभव सुविधाएं देने का प्रयास भी किया जाता है, लेकिन धरातल स्तर पर ध्यान ना देने से बच्चे पूर्ण सुविधाओं से वंचित हैं। यही कारण है कि बच्चों को वह शिक्षा और सुविधा नहीं मिल पाती जो उन्हें मिलनी चाहिए। ओंडेला स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय जिरोली भी धरातल स्तर पर ध्यान ना देने के कारण स्कूल के 64 बच्चे गंदगी और कटीली झाडिय़ों के बीच अक्षर ज्ञान पाने को मजबूर हैं।
ग्राउण्ड बना गंदे पानी का तालाब

स्कूल की स्थापना लगभग 20 वर्ष पहले हुई थी। तब दो भवन और टॉयलेटों के साथ बच्चों के खेलने के लिए ग्राउण्ड भी था। समय बीतने के साथ ग्राउण्ड में बारिश के पानी के साथ आसपास का पानी भी इक_ा होने लगा। धीरे-धीरे ग्राउण्ड ने गंदे पानी के तालाब का रूप ले लिया। जिसके चारों ओर बबूल के बड़े-बड़े पेड़ और झाडिय़ां तक उग आई हैं। जिस कारण यह परिषर स्कूल कम और जंगल ज्यादा लगता है।
मानसून में चौखट तक पहुंच जाता है पानी

मानसून सीजन बीते तीन माह होने को हैं। इतने समय बाद भी गंदा पानी स्कूल के सामने तक भरा हुआ है। अब सोचने वाली बात यह है कि अभी स्कूल परिसर की यह हालत हो रही है तो मानसून सीजन में क्या हालत होती होगी। जानकारी के मुताबिक बारिश के दिनों में पानी स्कूल को अपनी गिरफ्त में लेता है। जहां ना आने का रास्ता बचता है और ना जाने का। बस चहुओर पानी ही पानी।
झाडिय़ां कर रहीं नौनिहालों को घायल

विद्यालय में पढऩे वाले नौनिहालों के लिए एक गंदा पानी ही समस्या नहीं है। अपितु स्कूल के चहुंओर लगे बबूल के पेड़ और झाडिय़ां भी हैं। पेड़ और झाडिय़ां इतने बड़े और विकराल हैं कि बच्चों के खेलने और आवागमन में बाधा बने रहते हैं। जिस कारण बच्चों को भी पग-पग डर-डर के रखना पड़ता है। कई बार तो बच्चे खेलते हुए इन झाडिय़ों में भी उलझ कर घायल तक हो जाते हैं।
पड़ोस से पानी मांगकर पिला रहे बच्चों को

स्कूल के हाल बेहाल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चहुंओर पानी होने के बावजूद स्कूल में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। स्कूल का स्टॉफ पीने का पानी पड़ोस से मांगकर ला गुजारा कर रहा है। तो वहीं पानी न होने के कारण स्कूल में बने शौचालयों पर भी ताला लटका हुआ है। जिनका बिन पानी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। मगर इस ओर जिम्मेदारों का कतई ध्यान नहीं है।
सांझ ढलते ही विद्यालय बन जाता मयखाना

स्कूल के नाम पर वहां दो कमरे और शौचालय ही हैं। स्कूल की बाउन्ड्रीवाल ना होने के कारण शाम ढलते ही स्कूल परिषर का नजारा अहाते से कम नहीं होता। जहां शराबखोर सांझ होते ही हाथों में प्याले लेकर विद्यालय को मयखाना बना देते हैं। सुबह जब स्कूल का स्टॉफ आता है तो वहां उन्हें शराब की बोतलें सहित अन्य सामान पड़ा मिलता है।
स्कूल में जलभराव और आ रही समस्याओं को लेकर जल्द ही विद्यालय का निरीक्षण किया जाएगा। और जो समस्याएं सामने आएंगी उसकी रिपोर्ट बनाई जाएगी और समस्याओं को दूर किया जाएगा।
दामोदर मीणा, सीबीओ

स्कूल परिसर में गंदे पानी का जलभराव और कंटीली झाडिय़ां उग आना शिक्षा के लिहाज से सही नहीं है। जल्द ही स्कूल और बच्चों को आ रही समस्याओं का हल किया जाएगा।
राजेश कुमार, डीईओ एलिमेंट्री

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