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वरूथिनी एकादशी आज भगवान लक्ष्मीनारायण की मूर्ति पर सूर्यास्त के समय चढ़ा दें यह चीज, हो जायेंगे वारे न्यारे

वरूथिनी एकादशी आज भगवान लक्ष्मीनारायण की मूर्ति पर सूर्यास्त के समय चढ़ा दें यह चीज, हो जायेंगे वारे न्यारे

Apr 30, 2019 / 10:59 am

Shyam

varuthini ekadashi

वरूथिनी एकादशी आज भगवान लक्ष्मीनारायण की मूर्ति पर सूर्यास्त के समय चढ़ा दें यह चीज, हो जायेंगे वारे न्यारे

वरूथिनी एकादशी व्रत आज 30 अप्रैल दिन मंगलवार को है। इस दिन भगवान विष्णु के अवतार वराह स्वरुप की पूजा आराधना की जाती है। इस एकादशी का व्रत रखने के लिए एक दिन पहले ही संकल्प लेकर कुछ नियमों का पालन दृढ़ता पूर्वक करना चाहिए। दशमी तिथि के दिन संभव हो तो केवल एक ही समय सात्विक भोजन करना चाहिए। अगर सूर्यास्त के समय इस छोटी सी चीज को भगवान लक्ष्मीनारायण के चरणों में चढ़ाने से व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर जायेगा।

 

पूजा विधि-
एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा सोलह प्रकार के पदार्थों से (षोडशोपचार पूजन)-
अक्षत, पुष्प, जल, धुप, दीप, नैवेद्य (प्रसाद), ऋतुफल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, कलावा, जनेऊ, वस्त्र, दक्षिणा, पंचमेवा आदि से विधिवत पूजन करना चाहिए। साथ ही रात में भगवान के नाम भजन कीर्तन करते हुए जागरण भी करना चाहिए।

 

वरूथिनी एकादशी तिथि व मुहूर्त
वरुथिनी एकादशी – 30 अप्रैल 2019

1- एकादशी तिथि का आरंभ– 29 अप्रैल दिन सोमवार को रात 10 बजकर 4 मिनट से हो जायेगा।
2- यह व्रत सोमवार 30 अप्रैल को रखा जायेगा।
3- पारण का समय– 1 मई दिन मंगलवार को सुबह 6 बजकर 44 मिनट से 8 बजकर 22 मिनट तक। इसी दिन एकादशी तिथि समाप्त हो जायेगी।

 

आज सूर्यास्त के समय भगवान लक्ष्मी नारायण के चरणों के सफेद रंग के फूल चढ़ाने से नारायण के साथ मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होकर मनचाही इच्छा पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं।

वरूथिनी एकादशी के दिन धन-वैभव एवं संपन्नता प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु के इस विशेष मंत्र का जप करना चाहिए।


– ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि।
– ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।

 

वरूथिनी एकादशी व्रत करने वाले इन नियमों का पालन अवश्य करें-
– इस दिन कांसे के बर्तन में भूलकर भी भोजन नहीं करना चाहिए।
– मांस मदिरा, मसूर की दाल, चने व कोदों की सब्‍जी एवं शहद का सेवन भी नहीं करना चाहिए ।
– भूमि शयन करते हुए कामवासना का त्‍याग करना चाहिए।
– व्रत वाले दिन किसी भी प्रकार के गलत काम नहीं करना चाहिए।
– इस दिन पान खाने और दातुन करने से बचना चाहिए है।
– किसी की बुराई और चुगली नहीं करना चाहिए।
– इस दिन उपावास रखने वाले जातक क्रोध न करें और न ही झूठ बोलें।
– वरूथिनी एकादशी के दिन नमक, तेल और अन्‍न वर्जित है।

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