त्रयोदशी श्राद्ध का ऐसे समझें महत्व
पितृ पक्ष की त्रयोदशी तिथि को त्रयोदशी श्राद्ध किया जाता है। जिनकी मृत्यु दोनों पक्षों में से किसी एक की त्रयोदशी के दिन हुई थी, उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता है।
वहीं जानकारों के अनुसार श्राद्ध करने के लिए कुटुप मुहूर्त और रोहिना मुहूर्त को शुभ माना जाता है। वहीं अपर्णा कला समाप्त होने तक उसके बाद का मुहूर्त रहता है। पितृ पक्ष के दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी या मांगलिक कार्यक्रम नहीं किया जाता है।
श्राद्ध की पुराणों में मान्यता
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध पूजा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। मार्कंडेय पुराण के अनुसार श्राद्ध से पूर्वज संतुष्ट होते हैं और स्वास्थ्य, धन और सुख प्रदान करते हैं। वहीं मान्यता के अनुसार उस व्यक्ति को मोक्ष प्राप्त होता है जो श्राद्ध के सभी अनुष्ठानों को करता है। माना जाता है कि हर पीढ़ी पितरों का श्राद्ध कर पितृ पक्ष में अपना ऋण चुकाकर उऋण होती है।