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Somvati Amavasya 2023: सोमवती अमावस्या पर दुर्लभ संयोग, फाल्गुन अमावस्या पर ऐसे करें पूजा

फाल्गुन महीने की अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस साल यह अमावस्या यानी Somvati Amavasya 2023 एक पखवाड़े बाद है। 20 फरवरी को पड़ रही सोमवती अमावस्या को कई शुभ योग बन रहे हैं। आइये जानते हैं इन योग और सोमवती अमावस्या की पूजा विधि के बारे में…

Feb 07, 2023 / 07:22 pm

Pravin Pandey

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somvati amavasya

सोमवती अमावस्या मुहूर्तः फाल्गुन अमावस्या की शुरुआत 19 फरवरी शाम को 4.21 बजे से शुरू हो रही है, यह तिथि 20 फरवरी को दोपहर 12.38 बजे संपन्न हो रही है। हालांकि स्नान दान का मुहूर्त 20 फरवरी को सुबह 7.00 से सुबह 8.25 तक है, जबकि पूजा मुहूर्त सुबह 9.50 से सुबह 11.15 बजे तक है।

विशेष संयोगः फाल्गुन अमावस्या के दिन सोमवार और शिव योग का संयोग बन रहा है। यह दिन और योग दोनों महादेव की पूजा के लिए समर्पित हैं। दोनों के एक दिन पड़ने से तिथि विशेष हो गई है। इससे माना जाता है कि इस दिन महादेव की पूजा, जप, तप, श्राद्ध, आदि कार्यों से घर में सुख शांति का वास होता है। फाल्गुन अमावस्या पर शिव योग 20 फरवरी को सुबह 11.03 बजे से 21 फरवरी सुबह 6.57 बजे तक रहेगा।

सोमवती अमावस्या का महत्वः मान्यता है कि यह अमावस्या सुख, संपत्ति और सौभाग्य को प्रदान करने वाली है। इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध करने से पितर प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। अमावस्या पर गंगा स्नान, पूजा पाठ, व्रत, पितृ दोष और काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।

इसके अलावा फाल्गुन अमावस्या पर पवित्र नदियों में देवी देवताओं का निवास होता है। इसलिए इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती नदी में स्नान का विशेष महत्व है। यदि फाल्गुन अमावस्या सोमवार को है यानी यह सोमवती अमावस्या कही जाती है। इससे इस दिन स्नान दान का फल महाकुंभ स्नान के बराबर है।
फाल्गुन अमावस्या व्रतः मान्यता के अनुसार फाल्गुन अमावस्या के दिन किया जाने वाला व्रत और धार्मिक कार्य तुरंत फल देते हैं। इसलिए इस दिन ऐसे पूजा पाठ करना चाहिए।
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1. इस दिन नदी, जलाशय, कुंड में स्नान के बाद पितरों का तर्पण करें।
2. पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें, गरीबों को दान दें।
3. अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल से दीपक जलाएं, पितरों को स्मरण करें और पीपल पेड़ की सात बार परिक्रमा करें।

4. रूद्र, अग्नि और ब्राह्मणों की पूजा कर उन्हें उड़द, दही और पूड़ी का नैवेद्य अर्पित करें, स्वयं भी इन पदार्थों का एक बार सेवन करें।
5. शिव मंदिर में जाकर गाय के कच्चे दूध, दही, शहद से शिवजी का अभिषेक करें और भगवान को काले तिल अर्पित करें।
6. अमावस्या शनि देव का दिन माना जाता है, इसलिए इस दिन इनकी भी पूजा करनी चाहिए। यदि अमावस्या सोमवार को हो तो महाकुंभ स्नान योग बनता है जो अनंत फलदायी होता है।
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