इसके बाद हुए देव दानव युद्ध में देवता पराजित होते हैं, चारों तरफ हाहाकार मच जाता है। इस पर देवता ब्रह्माजी के पास पहुंचते हैं, वो इस समस्या का हल पूछते हैं। इस पर ब्रह्माजी ने देवताओं को बताया कि शिव पुत्र ही तारकासुर का वध करेगा।
इंद्र और अन्य देवता अपनी प्रार्थना लेकर शिवजी के पास जाते हैं। यहां आदि शक्ति की अवतार पार्वती से विवाह के बारे में पूछते हैं। बाद में भगवान भोलेनाथ आदिशक्ति की इस अवतार की उनके प्रति अनुराग की परीक्षा लेते हैं और उनकी सफलता पर फाल्गुन में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानी महाशिवरात्रि के दिन दोनों का विवाह होता है। इसके बाद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कार्तिकेय जन्म का जन्म होता है और उनके युद्ध के लिए तैयार होने के बाद युद्ध में मुरुगन तारकासुर को हराते हैं।
देश में कहां हैं कार्तिकेय के प्रमुख मंदिरः तमिलनाडु भगवान कार्तिकेय के मंदिरों के लिए जाना जाता है। भक्तों के लिए ये छह मुख्य तीर्थ स्थान माने जाते हैं।
1. पलनी मुरुगन मंदिर (कोयंबटूर से करीब 100 किमी दूर
2. स्वामीमलई मुरुगन मंदिर (कुंभकोणम के पास)
3. तिरुत्तनी मुरुगन मंदिर (चेन्नई से 84 किमी दूर)
4. पज्हमुदिर्चोलाई मुरुगन मंदिर (मदुरई से 10 किमी दूर)
5. श्री सुब्रह्मण्य स्वामी देवस्थानम् तिरुचेन्दुर (तूतुकुडी से 40 किमी दूर)
6. तिरुप्परनकुंद्रम मुरुगन मंदिर (मदुरई से 10 किमी दक्षिण में स्थित)