scriptEkadashi Shradh : इस दिन जरूर करें पूर्वजों का श्राद्ध, सात पीढ़ियों तक के पितरों को मिल जाएगी मुक्ति | seven generations will get salvation on shradh Ekadashi vrat | Patrika News
धर्म-कर्म

Ekadashi Shradh : इस दिन जरूर करें पूर्वजों का श्राद्ध, सात पीढ़ियों तक के पितरों को मिल जाएगी मुक्ति

आश्विन कृष्ण एकादशी कहलाती है इंदिरा एकादशी

Sep 27, 2021 / 12:57 pm

दीपेश तिवारी

shradh Ekadashi

shradh Ekadashi

हिंदू कैलेंडर में हर वर्ष एक पक्ष पितरों के नाम होता है, जिसे हम पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष के नाम से जानते हैं। यह पक्ष भाद्रप्रद की पूर्णिमा से शुरु होकर अश्विन माह की अमावस्या तक रहता है। माना जाता है कि इस दौरान पितर अपने लोक से पृथ्वी पर आते हैं। वहीं पृथ्वी में रहने वाले उनके रिश्तेदार अपने पितरों की शांति के लिए उनका श्राद्ध व तर्पण सहित कई धार्मिक कार्य करते हैं।

ऐसे में श्राद्ध पक्ष के हर दिन की अपनी खास महत्ता होती है। ऐसा ही एक दिन इस दौरान आने वाली एकादशी भी है। जिसे इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है।

Shradh Ekadashi
IMAGE CREDIT: patrika
जानकारों के अनुसार भटकते हुए पितरों को गति देने वाली पितृपक्ष की एकादशी का नाम ‘इंदिरा एकादशी’ है। इस एकादशी का व्रत करने वाले को सात पीढ़ियों तक के पितृ तर जाते हैं। वहीं इस एकादशी का व्रत करने वाला स्वयं मृत्यु के पश्चात मोक्ष प्राप्त करता है।
इस एकादशी के व्रत और पूजा का विधान वहीं है तो अन्य एकादशी का है। इसमें अंतर केवल इतना है कि इस दिन शालिग्राम की पूजा की जाती है।

इस दिन स्नानदि से पवित्र होकर भगवान शालिग्राम को पंचामृत से स्नान कराकर भोग लगाना चाहिए और पूजाकर, आरती करनी चाहिए।
Must Read- शालिग्राम के पूजन व अभिषेक की विधि, साथ ही इन बातों का रखें विशेष ध्यान

Shaligramji

फिर पंचामृत बांट कर ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा देनी चाहिए। इस दिन पूजा व प्रसाद में तुलसी की पत्तियों यानि तुलसीदल का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

आश्विन कृष्ण एकादशी कथा
प्राचीनकाल में महिष्मती नगरी में इंद्रसेन नामक एक राजा राज्य करते थे। उनके माता-पिता दिवंगत हो चुके थे। अचानक एक रात उन्हें स्वप्न आया कि उनके माता-पिता यमलोक (नरक) में पड़े हुए अत्यधिक कष्ट भोग रहे हैं। नींद से जागने के पश्चात वे अपने पितरों की इस दुर्दशा से अत्यधिक चिंतित हुए।

वे विचार करने लगे किस प्रकार अपने पितरों को यम यातना से मुक्त किया जाए। इस विषय पर परामर्श करने के लिए उन्होंने विद्वान ब्राह्मणों व मंत्रियों को बुलाकर स्वप्न के बारे में बताया। इस पर ब्राह्मणों ने कहा कि हे राजन! यदि आप सपत्नीक इंदिरा एकादशी का व्रत करें तो आपके पितरों की मुक्ति हो जाएगी।

Must read- सैंकड़ों सालों से यहां लगातार बढ़ रहा है शालिग्राम पिंडी का आकार

शालिग्राम के रूप में करें भगवान विष्णु की पूजा, जीवन में मिलेंगे ऐसे फायदे

इंदिरा एकादशी के दिन आप शालिग्राम की पूजा, तुलसी आदि चढ़ाकर 91 ब्राह्मणों को भोजन कराकर दक्षिणा दें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इससे आपके माता-पिता स्वर्ग को चले जाएंगे।

राजा ने उनकी बात को मानकर सपत्नीक विधिपूर्वक इंदिरा एकादशी का व्रत किया। रात्रि में जब वे मंदिर में सो रहे थे, तभी भगवान ने उन्हें दर्शन देकर कहा राजन! तुम्हारे व्रत के प्रभाव से तुम्हारे सभी पितर स्वर्ग पहुंच गए हैं। इसी दिन से इस व्रत की महत्ता बढ़ गई।

Hindi News / Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Ekadashi Shradh : इस दिन जरूर करें पूर्वजों का श्राद्ध, सात पीढ़ियों तक के पितरों को मिल जाएगी मुक्ति

ट्रेंडिंग वीडियो