यह है रवि प्रदोष व्रत का फल
1. नियम पूर्वक रवि प्रदोष व्रत रखने से व्रतधारी को भगवान शिव, आदिशक्ति पार्वती और भगवान सूर्य तीनों की कृपा प्राप्त होती है। इसके चलते यह व्रत रखने वाले व्यक्ति को लंबी आयु, सुख शांति के साथ आरोग्य की भी प्राप्ति होती है।2. रवि प्रदोष का संबंध सूर्य से होता है, इसलिए इस व्रत को रखने से साधक के जीवन में चंद्रमा के साथ सूर्य भी सक्रिय रहते हैं और शुभ फल देते हैं। भले ही वह साधक की कुंडली में खराब स्थिति में हों, ग्रहों के राजा सूर्य की पूजा के दिन आदिदेव की पूजा (रवि प्रदोष व्रत पूजा) से ग्रहों के स्वामी सूर्य से संबंधित सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
3. अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में अपयश का योग हो तो उसे यह प्रदोष व्रत जरूर रखना चाहिए। रवि प्रदोष व्रत सूर्य से संबंधित है, इस कारण यह व्रत रखने वाले व्यक्ति को नाम और यश मिलता है।
4. धार्मिक ग्रंथों में बार-बार कहा गया है कि जो व्यक्ति प्रदोष व्रत रखता है, वह संकट में नहीं घिरता और उसके जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है।
5. कोई भी व्यक्ति 1 साल या 11 साल के सभी त्रयोदशी व्रत रखता है तो उसकी समस्त मनोकामना की पूर्ति होती है। इसमें भी रवि प्रदोष, भौम प्रदोष और शनि प्रदोष व्रत सबसे महत्वपूर्ण है। इसको पूरा करने से अतिशीघ्र कार्यसिद्धि होती है, और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
चोरों ने कहा कि तुम्हारी पोटली में क्या है, उसने बताया कि मां ने इसमें रोटियां दी हैं। इस पर चोरों ने उसे जाने दिया, बच्चा नगर में पहुंचा। बालक वहां से एक नगर में पहुंचा और एक बरगद के पेड़ के नीचे सो गया तभी सिपाही पहुंचे और चोर समझकर पकड़ लिया और राजा के पास ले गए। यहां राजा ने उसे कारावास में बंद करा दिया। इधर, बेटा घर नहीं पहुंचा तो ब्राह्मणी को चिंता हुई, उसने भगवान शिव से बेटे की कुशलता की प्रार्थना की। इस पर भगवान शिव ने राजा को स्वप्न दिया कि बच्चा चोर नहीं है, उसे छोड़ दें वर्ना उसका राज्य वैभव नष्ट हो जाएगा।
इस पर राजा ने बालक को मुक्त कर दिया। साथ ही बालक ने वृत्तांत सुनाया तो उसके माता पिता को बुलाया। वे डरते राज्य में पहुंचे तो राजा ने उन्हें पांच गांव दान दे दिया और ब्राह्मण परिवार सुखी जीवन जीने लगा।