पौष अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करने के बाद पहले सूर्य को अर्घ्य देने के बाद फिर अपने पितरों का तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होकर मन चाही इच्छा पूरी करते हैं । सूर्य को तांबे के पात्र में लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालने के बाद शुद्ध जल डालकर अर्घ्य देना चाहिए । पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा भी दें । अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष और संतान हीन योग उपस्थित हो तो वे पौष अमावस्या का उपवास रखकर पितरों का तर्पण करें ।
पौष अमावस्या के दिन किसी प्राचीन पीपल वृक्ष का पूजन करके सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए । अगर घर के आगंन में तुलसी का पौधा लगा हो तो उसकी 7 या 11 परिक्रमा करनी चाहिए । पौष अमावस्या के दिन व्रत करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती और वे प्रसन्न होकर अपना संतानों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होने का आशीर्वाद देते हैं । पुण्य फलदायी पौष अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए उपवास रखने से न केवल पितृगण बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, सूर्य, अग्नि, वायु, ऋषि, पशु-पक्षी समेत भूत प्राणी भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं ।