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1, 2 एवं 3 मई को रहेगा पंचक, इन जोखिमभरे कामों को करने से बचें

1, 2 एवं 3 मई को रहेगा पंचक, इन जोखिमभरे कामों को करने से बचें

May 01, 2019 / 11:53 am

Shyam

panchak

1, 2 एवं 3 मई को रहेगा पंचक, इन कामों को करने से बचे

जब-जब चद्रंमा अपने परिपथ भ्रमण के काल में गोचरवश कुंभ और मीन राशियों में अथवा कहें कि धनिष्ठा नक्षत्र के उत्तरार्ध में, शतभिषा, पूर्वामाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्रों में होता है, तो इस काल को पंचक कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में हर माह लगने वाले पंचक काल को शुभ नहीं माना गया है। जानें पंचक प्रारंभ काल और पंचक समाप्ति का सटीक और सही समय एवं इस दौरान क्या करना औऱ क्या नहीं करना चाहिए।

 

ऐसा माना जाता है कि इस अवधि में किए गए कोई भी कार्य अशुभ और हानिकारक फल देते हैं, अत: इस नक्षत्र का योग अशुभ माना जाता है। 1 मई बुधवार, 2 मई गुरुवार एवं 3 मई शुक्रवार को पंचक रहेगा। पंचक काल के दिनों में विशेष संभलकर रहने की आवश्यकता होती है, इसलिए पंचक के दौरान कोई भी जोखिमभरा कार्य करने से बचना चाहिए। पंचक काल के समय में यात्रा करना, लेन-देन, व्यापार और किसी भी तरह के बड़े सौदे भी नहीं करने चाहिए, क्योंकि इससे धन हानि हो सकती है।

 

पंचक काल
वैसे तो पंचक 28 अप्रैल दिन रविवार को ही दोपहर 3 बजकर 45 मिनट से शुरू हो गया है जो 3 मई दिन शुक्रवार को दोपहर 2 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। पंचक काल में भूलकर भी कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने से धन हानि एवं अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

 

शास्त्रों में कहा गया है-
‘धनिष्ठ-पंचकं ग्रामे शद्भिषा-कुलपंचकम्।
पूर्वाभाद्रपदा-रथ्याः चोत्तरा गृहपंचकम्।
रेवती ग्रामबाह्यं च एतत् पंचक-लक्षणम्।।’
अर्थात- धनिष्ठा से रेवती पर्यंत इन पांचों नक्षत्रों की क्रमशः पांच श्रेणियां हैं- ग्रामपंचक, कुलपंचक, रथ्यापंचक, गृहपंचक एवं ग्रामबाह्य पंचक।

 

ये है पंचक
आकाश को कुल 27 नक्षत्रों में बांटा गया है। इन 27 नक्षत्रों में अंतिम पांच नक्षत्र- धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती नक्षत्रों के संयोग को पंचक कहा जाता है। इन पांच नक्षत्रों की युति यानी गठजोड़ अशुभ होता है। ‘मुहूर्त चिंतामणि’ अनुसार इन नक्षत्रों की युति में किसी की मृत्यु होने पर परिवार के अन्य सदस्यों को मृत्यु या मृत्यु तुल्य कष्ट सहना पड़ता है।

 

5 जन्म तो 5 मृत्यु
ऐसी मान्यता है कि यदि धनिष्ठा में जन्म-मरण हो, तो उस गांव-नगर में पांच और जन्म-मरण होता है। शतभिषा में हो तो उसी कुल में, पूर्वा में हो तो उसी मोहल्ले-टोले में, उत्तरा में हो तो उसी घर में और रेवती में हो तो दूसरे गांव-नगर में पांच बच्चों का जन्म एवं पांच लोगों की मृत्यु संभव है।

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