2- शताक्षी
अगला अवतार माँ ने तब लिया जब इस धरा पर 100 वर्षो तक वर्षा नही हुई, तब माँ ऋषि-मुनियों की स्तुति आवाहन करुण पुकार सुनकर प्रकट हुई । इस अवतार में माता अपने सौ नेत्रों के माध्यम से अपने भक्तों को देखा और उनके इस संकट को दूर किया । तभी से इनका नाम ‘शताक्षी’ माता हुआ, अर्थात सौ आँखों से देखने वाली ।
3- शाकम्बरी देवी
इस अवतार में माता ने 100 वर्षों तक बारिश नही होने पर इस धरती पर जीवन बचाने के लिए माँ शाकम्बरी देवी के रूप में अवतरित हुई, और अपनी अनेकों शाखाओं से भरण पोषण करने लगी जब तक वर्षा नही हो हुई ।
4- दुर्गा
इसी अवतार में मां दुर्गा ने दुर्गम नाम के एक दैत्य का संहार कर भक्तों की रक्षा की थी, तभी से माता का नाम दुर्गा पड़ा ।
5- भीमा देवी
मां भवानी ने ‘भीमा देवी’ के रूप में अवतार लेकर उन राक्षसों का वध किया जो हिमालय में रहने वाले ऋषि – मुनियों को परेशान करते थे, उनकी पूजा में विघ्न डालते थे । राक्षसों का वध कर माता ने ऋषि – मुनियों को सभी संकटों को हर लिया था ।
6- भ्रामरी माता
जब तीनों लोकों में अरुण नाम के दैत्य का अत्याचार बढ़ने लगे, और जगत में त्राहिमाम होने लगा, ऋषि – मुनियों और देवताओं आवाहन पर उनकी रक्षा करने के लिए माता ने छह पैरों वाले असंख्य भ्रमरों का रूप धारण करके अरुण दैत्य का नाश किया, तभी से मां आद्यशक्ति दुर्गा ‘भ्रामरी माता’ के नाम से पूजी जाने लगी ।
आज भी नवरात्र या अन्य दिनों में माँ दुर्गा के – रक्तदंतिका, शताक्षी, शाकम्बरी देवी, दुर्गा, भीमा देवी, और भ्रामरी माता के नामों या मंत्रों का श्रद्धा पूर्वक जप करते हैं तो माता उनके सभी संकटों को हर लेती है ।