मान्यता है कि गलत समय में घट स्थापना करने से देवी मां क्रोधित हो सकती हैं। रात के समय और अमावस्या के दिन घट स्थापित करने की मनाही है। घट स्थापना का सबसे शुभ समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग बीत जाने के बाद होता है। अगर किसी कारण वश आप उस समय कलश स्थापित न कर पाएं तो अभिजित मुहूर्त में भी स्थापित कर सकते हैं। प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजित मुहूर्त कहलाता है। सामान्यत: यह 40 मिनट का होता है।
कलश स्थापना सामग्री (Kalash Sthapana Samagri)
भविष्यवक्ता डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि मां दुर्गा को लाल रंग खास पसंद है, नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के लिए लाल रंग का ही आसन खरीदें। इसके अलावा कलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ, मिट्टी, जल से भरा हुआ कलश, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, साबुत सुपारी, साबुत चावल, सिक्के, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल-फूल, फूलों की माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए।कैसे करें कलश स्थापना (Kaise Karen Kalash Sthapana)
- नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा को सुबह स्नान कर लें और मंदिर की साफ-सफाई करने के बाद सबसे पहले गणेश जी का नाम लें और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं।
- कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं।
- अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें।
- अब इस लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं।
- फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें।
- इसके बाद कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं। अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें।
- फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें। अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं।
- कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है। आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं।
- मां को प्रसाद चढ़ाएं, धूप दीप आरती और श्रृंगार की सामग्री भेंट करें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें, आरती गाएं, मां शैलपुत्री का मंत्र या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम:।। एक माला जपें।
- मां का प्रसाद भक्तों को बांटें।
सुबह नवमी पूजन और शाम को दशहरा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ. अनीष व्यास के अनुसार शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12:07 बजे आ जाएगी। जो 12 अक्टूबर को सुबह 10:59 बजे तक रहेगी। इसके बाद दशमी तिथि आएगी, इसलिए 12 अक्टूबर को सुबह नवमी का पूजन होगा और शारदीय नवरात्रि का समापन इसी दिन माना जाएगा।शाम को दशहरा यानी विजयदशमी का पर्व मनाया जाएगा। साथ ही दशहरा पर शस्त्र पूजा भी इसी दिन होगी और शाम को रावण दहन किया जाएगा। जबकि शनिवार होने की वजह से और अगले दिन रविवार को उदया तिथि में दशमी तिथि होने की वजह से नवरात्रि का उत्थापन होगा।