कैसा है महागौरी का स्वरूप
नवरात्रि उत्सव के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां महागौरी का शासन राहु ग्रह पर है। देवी महागौरी और देवी शैलपुत्री दोनों का वाहन बैल है। इसी कारण इन्हें वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है। ग्रंथों में देवी महागौरी को चतुर्भुज स्वरूप में दर्शाया गया है। इनके एक दाहिने हाथ में त्रिशूल रहता है और इनका दूसरा दायां हाथ अभय मुद्रा में रहती है। इन एक बायें हाथ में डमरू रहता है और दूसरा बांया हाथ वर मुद्रा में रहता है। इनके गोरे रंग के कारण इनकी तुलना शंख, चंद्रमा और कुंद के श्वेत फूल से की जाती है। साथ ही ये श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। इसी कारण इन्हें श्वेताम्बरधरा के नाम से भी जाना किया जाता है। इनका प्रिय फूल रात की रानी है।मन्त्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः॥प्रार्थना
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ ये भी पढ़ेंः Monthly Horoscope Aries May: मेष राशि वालों के करियर में लगेंगे पंख, पढ़ें-मई मासिक राशिफलध्यान
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।सिंहारूढा चतुर्भुजा महागौरी यशस्विनीम्॥
पूर्णन्दु निभाम् गौरी सोमचक्रस्थिताम् अष्टमम् महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीयां लावण्यां मृणालां चन्दन गन्धलिप्ताम्॥
स्तोत्र
सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥ ये भी पढ़ेंः नवरात्रि अष्टमी आज, जानें कब और कैसे करें कन्या पूजन, इन उपायों से मिलता है धन
कवच
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥
आरती
जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवासा॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुण्ड में था जलाया। उसी धुयें ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आने वाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥